केन्द्रीय मंत्री और एक जमाने में वरिष्ठ कांग्रेस नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया पर मध्य प्रदेश कांग्रेस अचानक ‘हमलावर’ क्यों हो गई है? मध्य प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में इस सवाल की गूंज हो रही है! बीते दो दिनों में कांग्रेस ने सिंधिया पर तीखा राजनीतिक हमला बोला है। सिंधिया को आड़े हाथों ‘लेने वाले नामों’ की वजह से सवालों की ‘गूंज’ कुछ ज्यादा ‘गहरा’ गई है।
बता दें, कांग्रेस के बड़े नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के विधायक पुत्र जयवर्धन सिंह ने बुधवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया को संकेतों में कांग्रेस की पनौती बताया था।
कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे जयवर्धन सिंह ने सिंधिया का नाम लिये बिना कहा था, ‘पनौती के साथ न रहने से पार्टी को फायदा हुआ है। पनौती भाजपा में चली गई तो ग्वालियर में 57 सालों के बाद कांग्रेस ने मेयर की सीट को जीतकर इतिहास रच दिया।’
सिंधिया के खिलाफ दिग्विजय सिंह के बड़े कृपापात्रों में शुमार वरिष्ठ विधायक और मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह मैदान में उतरे हैं।
गोविंद सिंह ने गुरूवार को मीडिया से बाचतीत में सनसनी फैलाई। उन्होंने दावा किया, ‘कांग्रेस को छोड़कर जाने वाले कई विधायक पार्टी में वापस आने के लिये छटपटा रहे हैं। पिछले सप्ताह तीन-चार विधायकों ने कहा है, हमें वापस बुला लो। हमसे गलती हो गई।’
गोविंद सिंह ने दावा किया, ‘हमने पूछा, तुम्हें कितने पैसे मिले थे? तो वे बोले, 18-18 करोड़ रुपये। सिंधिया जी ने कहा था, बाकी रुपये दे देंगे, मगर अब दे ही नहीं रहे हैं।’
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ज्यादातर लोग स्वार्थवश गए थे। रुपयों के लिए भाजपा में शामिल हुए। रुपए नहीं मिले तो इधर आने की फिराक में हैं। पीठ में छुरा घोंपने वालों के लिए पार्टी में जगह नहीं है। हमें एक वफादार कार्यकर्ता चाहिए, 100 गद्दारों की जरूरत नहीं है।
गोविंद सिंह, नेता प्रतिपक्ष
जयवर्धन और गोविंद सिंह के सिंधिया पर अनायास राजनीतिक हमलों के बाद सवाल उठाया जा रहा है कि कांग्रेस ने ‘अचानक’ सिंधिया पर हमला तेज क्यों कर दिया है? तत्काल कोई चुनाव नहीं है। अन्य ऐसा कोई ‘राजनीतिक पहलू’ नहीं है, जिसमें यकायक कांग्रेस को सिंधिया को निशाने पर लेने की जरूरत पड़ी हो! फिर आखिर हमला क्यों?’
वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक राकेश दीक्षित ने इस सवाल के जवाब में कहा, ‘राजनीतिक हमले की टाइमिंग को लेकर सवाल उठना लाजमी होता है।’ सिंधिया पर जयवर्धन सिंह और गोविंद सिंह द्वारा राजनीतिक छींटाकशी के सवाल पर राकेश दीक्षित ने कहा, ‘अधिकांश आरोप पुराने हैं। गोविंद सिंह कुछ विधायकों की वापसी का जो दावा कर रहे हैं, उससे जुड़ी सच्चाई आने वाले समय में साफ होगी।’
टटोले जाने पर राकेश दीक्षित स्वीकारते हैं, ‘आज जिस तरह का राजनीतिक दौर है, उसमें हर तरह के राजनीतिक निहितार्थ संभव हैं।’
मोदी ने की तारीफ
तमाम कयासबाजी और निहितार्थों की ‘खोजबीन’ के बीच कांग्रेस के इस ‘कदम’ को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार को एक ट्वीट द्वारा ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रशंसा से जोड़कर भी देखा जा रहा है। बता दें, केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री सिंधिया ने अपने विभाग से जुड़ी सफलताओं का ब्यौरा ट्वीट के जरिये दिया था। सिंधिया ने बताया था कि उनके महकमे की नई और पुरानी उड़ानें किस तरह से नये आयाम अर्जित कर रही हैं। सिंधिया ने अपने ट्वीट में नये मार्ग, विमानों की संख्या/उड़ान बढ़ाये जाने के बाद यात्रियों की संख्या 4 लाख के रिकार्ड को छू लेने की जानकारी भी दी थी।
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्जैन आये थे। उज्जैन दौरे के ठीक पहले मोदी ने नागरिक उड्डयन विभाग से जुड़ी उपलब्धियों पर सिंधिया की पीठ ‘थपथपाई’ थी। सिंधिया के ट्वीट पर री-ट्वीट के करते हुए पीएम मोदी ने लिखा था, ‘महान संकेत, हमारा ध्यान पूरे भारत में कनेक्टिविटी और बेहतर बनाने पर है, जो ईज ऑफ लिविंग और आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।’
सिंधिया समर्थक ने किया पलटवार
कांग्रेस के ताजा राजनीतिक हमले पर सिंधिया की ओर से तो कोई प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आयी है, लेकिन उनके समर्थक विधायक और शिवराज सरकार में मंत्री बृजेन्द्र सिंह यादव ने पलटवार किया है।
यादव ने कहा है, ‘कांग्रेस के पास मुद्दा नहीं है। जब-तब खरीद-फरोख्त का आरोप वह लगाती है। कोई कहता है, 20 करोड़, कोई कहता है, 35 करोड़, कोई कहता है, 50 करोड़! मेरे ख्याल से एक आंकड़ा बोलते तो, हो सकता है कि कहीं तक सच्चाई सामने आती। कोई कहता है, मंत्री खा गए, कोई कहता है, विधायकों ने लिए, कोई कहता है, सिंधिया जी ने लिए!’
यादव ने आगे कहा, ‘खरीद-फरोख्त का मुद्दा उपचुनाव में भी कांग्रेस ने उठाया था। जोर-जोर से चिल्लाए, लेकिन जनता पर असर नहीं हुआ। जनता सब जानती है। कांग्रेसियों ने सिंधिया जी का सम्मान नहीं किया। अपमान किया। उनकी बात नहीं रखी तो कांग्रेस की हार हुई। जो सच्चाई है, वो सबके सामने है। उनका आरोप झूठ/मिथ्या है।’
22 विधायकों ने दिया था इस्तीफा
मध्य प्रदेश में कमल नाथ की सरकार को गिराने के लिये 2020 में सियासी ड्रामा चला था। ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत से सरकार गिरी थी। सिंधिया की अगुवाई में पार्टी से बगावत करते हुए कांग्रेस के कुल 22 विधायकों ने इस्तीफे दिये थे। ये सभी भाजपा में शामिल हो गये थे।
कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले तत्कालीन विधायकों में प्रदुम्न सिंह तोमर, रघुराज कंसाना, कमलेश जाटव, रक्षा सरोनिया, जजपाल सिंह जज्जी, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, तुलसी सिलावट, सुरेश धाकड़, महेंद्र सिंह सिसोदिया, ओ.पी.एस. भदौरिया, रणवीर जाटव, गिरराज दंडोतिया, जसवंत जाटव, गोविंद राजपूत, हरदीप डंग, मुन्ना लाल गोयल, बृजेन्द्र सिंह यादव, बिसाहू लाल सिंह, ऐदल सिंह कसाना और मनोज चौधरी शामिल रहे थे।
इस्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी ने सभी को टिकट दिया था। ज्यादातर चुनाव जीत गये थे। कई हारे भी थे। शिवराज सिंह ने उपचुनाव में जीतने वाले सिंधिया समर्थक विधायकों को मंत्री बनाया। जो हारे उनमें कई को मंत्री का दर्जा देते हुए निगम-मंडलों और अन्य सरकारी सुख-सुविधाएं मिलने वाले राजनीतिक पदों पर एडजस्ट किया।
सिंधिया भी हैं दावेदार!
भाजपा की राजनीति का तरीका बदला है। नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी चौंकाने वाले निर्णय लेती है। मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव 2023 में होने हैं। चुनाव में चेहरा कौन होगा? यह तो चुनाव के समय ही पता चलेगा, लेकिन मुख्यमंत्री पद के जो दावेदार भाजपा में हैं, उनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी मप्र के सीएम पद की दौड़ में ‘बड़े धावक’ के तौर पर देखा जा रहा है।
शिवराज सिंह को बदले जाने की कयासबाजी जब-तब चलती है। राज्य के सीएम पद की दौड़ में नरेंद्र सिंह तोमर से लेकर केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वी.डी.शर्मा तक के नाम चल पड़ते हैं। कैलाश विजयवर्गीय को भी सीएम पद के दावेदारों में गिना जाने लगता है। अन्य नाम भी लिये जाने लगते हैं। लेकिन जब भी शिवराज सिंह की सीएम पद की कुर्सी को ‘खतरा’ बताया जाता है, तब-तब वे ज्यादा मजबूत होकर उभरते हैं। कुर्सी पर मजबूती से डट जाते हैं। बने रहते हैं।
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