किसी दल को 90 फ़ीसदी ही वोट क्यों चाहिए? ज़्यादा से ज़्यादा या 100 फ़ीसदी तक क्यों नहीं? यदि यह सवाल आपको भी बेचैन करता है तो कोई बात नहीं, यह सवाल ही कुछ ऐसा है। मध्य प्रदेश में वोटिंग हो गई, चुनाव नतीजे का बेसब्री से इंतज़ार है। ज़्यादा बेसब्री इसलिए भी कि कांग्रेस और बीजेपी का चुनावी रणनीति ही अनोखी थी। इसे अजब नहीं तो क्या कहेंगे! कांग्रेस ने 90 फ़ीसदी वोट माँगा तो बीजेपी ने भी 90 फ़ीसदी वोट माँगा। यदि ज़्यादा वोट मिल जाए तो क्या परेशानी है! राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दरमियान वायरल हुआ कमलनाथ का एक विडियो ज़रूर याद होगा। इसमें वे पार्टी की ‘इन-हाउस’ बैठक में सत्ता के 15 सालों के वनवास की समाप्ति के लिए मुस्लिम मतदाताओं के 90 प्रतिशत वोटिंग की ‘दरकार’ बता रहे थे। मतदान वाले दिन यानी 28 नवंबर को राज्य के सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की तसवीर वाला भाजपा का वह विज्ञापन भी अवश्य याद होगा जिसमें ‘भाजपा 90 प्रतिशत मतदान का आह्वान कर रही थी।’मध्य प्रदेश भाजपा के 90 प्रतिशत मतदान के आह्वान वाला विज्ञापन कई लोगों को पहली नज़र में बहुत अटपटा लगा था। दरअसल, जब चुनाव आयोग का ज़ोर, शत-प्रतिशत मतदान के लिए मतदाताओं को जागरूक करने पर रहता है तो 90 प्रतिशत वोट की बात बेशक अटपटी-सी थी। प्रदेश बीजेपी ने अपने इस विज्ञापन में एक जगह आह्वान के पीछे का मंतव्य इस लाइन से स्पष्ट कर दिया था, ‘कमल का बटन दबाइये, तुष्टीकरण (कमलनाथ द्वारा मुस्लिमों के 90 प्रतिशत वोट) की राजनीति को उल्टे पाँव लौटाइए।’
कमलनाथ के वायरल वीडियो को भाजपा ने जमकर अपना हथियार बनाया था और जमकर इस ‘मुद्दे’ को ‘खेला’ भी था। प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश की एक चुनावी सभा में इस वायरल विडियो का ज़िक्र करते हुए कमलनाथ को संकेतों में जमकर आड़े हाथों भी लिया था।
तो कितने वोटरों ने किसको वोट दिया?
किस दल को कितने मत मिले, यह तो मतगणना के दिन पता चलेगा, लेकिन वोटिंग कितनी हुई यह मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने शुक्रवार को बताया। इसके अनुसार राज्य के इतिहास में सर्वाधिक 75.05 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यानी कुल मतदान 90 फ़ीसदी नहीं हुआ। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के गृह ज़िले छिंदवाड़ा में सबसे ज़्यादा 83.09 प्रतिशत मतदान हुआ। साल 2013 में इस ज़िले में 81.09 प्रतिशत वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।प्रदेश में कुल 51 ज़िले हैं। इन ज़िलों में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं, इन सीटों के लिए ज़िलेवार वोटिंग में 15 ज़िले ऐसे रहे जहाँ 80 प्रतिशत या उससे ज़्यादा मतदान हुआ। इसके अलावा 27 ज़िलों में 70 से 80 प्रतिशत और नौ ज़िलों में 60 से 70 फ़ीसदी के बीच वोटिंग हुई।प्रदेश में साल 2013 के विधानसभा चुनाव में कुल 72.18 प्रतिशत वोट डाले गए थे। उसकी तुलना में मतदान के प्रतिशत में 2.87 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है। यदि साल 2008 से तुलना की जाए तो सामने आता है कि विधानसभा के 2008 के चुनाव में हुए कुल 69.28 प्रतिशत की तुलना में इस बार 5.77 प्रतिशत मतदान ज्यादा हुआ। यह बढ़ा हुआ वोट किसको गया, इसका अंदाज़ा हम 11 दिसंबर को आने वाले परिणामों के बाद ही लगा पाएँगे।
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