मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सुभाष नगर शमशान घाट पर अकेली महिला एक शव लेकर पहुँची तो विश्रामघाट पर सेवाएँ देने वाले बुरी तरह चौंक गए। कोरोना रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन की वजह से मन को अंदर तक झकझोर देने वाला यह दृश्य पैदा हो गया।
विश्राम घाट पर अकेले ही शव लेकर पहुँचने वाली महिला का नाम वर्षा अग्रवाल था। भोपाल से 45 किलोमीटर दूर पड़ोसी ज़िले रायसेन की वह निवासी है।
क्या है मामला?
उसके पति अमित अग्रवाल रायसेन में टिफिन सेंटर चलाया करते थे। पिछले सप्ताह वह बीमार हुए थे। उन्हें सर्दी-खाँसी और जुकाम हुआ था। निमोनिया मानकर अमित का उपचार किया जा रहा था।
कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते उन्हें रायसेन ज़िला अस्पताल के ‘कोविड 19’ वार्ड में रखा गया था। कोरोना जाँच से जुड़े सैंपल लिये गये थे, रिपोर्ट आना बाकी है।
गुरुवार को अमित को साँस लेने में तकलीफ़ बढ़ी तो रायसेन ज़िला अस्पताल ने उन्हें भोपाल के हमीदिया अस्पताल ले जाने को कह दिया। उपचार के दौरान शुक्रवार को अमित ने दम तोड़ दिया।
वर्षा अपने पति के शव को रायसेन लेकर जाना चाहती थी। कोरोना से मारे जाने वालों के अंतिम संस्कार को लेकर जारी प्रोटोकाॅल ने इसकी इजाज़त नहीं दी।
कोरोना प्रोटोकॉल
दरअसल मध्य प्रदेश सरकार ने आदेश जारी कर रखा है कि कोरोना अथवा अन्य बीमारी से भी कोई मारा जाता है तो उसका अंतिम संस्कार उसी स्थान पर करना होगा, जहाँ उसकी मृत्यु हुई है।
अंतिम सांस तक एक-दूसरे का साथ निभाने का वादा करने वाले जोड़े में शेष रहीं पत्नी वर्षा ने धैर्य नहीं खोया। अस्पताल से मिले शव वाहन में पॉलीथिन में लिपटी पति अमित की पार्थिव देह को लेकर वह अकेले ही सुभाष नगर विश्राम घाट पहुँची। भोपाल में रहने वाली एक सहेली भी इस बीच विश्राम घाट आ गयी।
प्रोटोकाॅल के तहत मिली पीपीई किट पहन कर वर्षा ने अपने पति के शव को मुखाग्नि दी और अंतिम संस्कार के लिए मान्य अन्य परंपराओं का निर्वहन किया।
भावुक क्षण
विश्राम घाट के स्टाॅफ ने तमाम संस्कारों के निर्वहन में उनकी मदद की। हर दिन अनेक संस्कारों से बावस्ता होने वाले स्टाॅफ के सदस्यों की आंखें इस पूरे दृश्य को देखकर नम हो गईं।
सुभाष नगर विश्राम घाट के प्रबंधक शोभराज ने कहा, ‘हम लंबे वक्त से अंतिम संस्कारों के गवाह रहे हैं। पहले भी प्रतिकूल हालातों में अंतिम संस्कारों के मंजर देखे, लेकिन एक अकेली महिला द्वारा पति की देह को लेकर आने, मुखाग्नि और अंतिम क्रियाएँ कराते पहली बार देखा है।’
शोभराज ने कहा, ‘इस दृश्य ने उन्हें अंदर तक हिला दिया। ईश्वर ऐसा मौक़ा आगे कभी किसी को ना दिखाये।’
वर्षा का देवर भी हमीदिया में
वर्षा का देवर भी कोरोना संदिग्धों की श्रेणी में शुमार है। कोरोना से जुड़े तमाम लक्षणों के चलते उसे भी रायसेन ज़िला अस्पताल से भोपाल रेफर किया हुआ है।
वर्षा के पाँच और आठ साल के बच्चे हैं। विडंबना यह है कि दोनों मासूमों को ना तो अपने पिता के शव के आखिरी दर्शन हुए और ना ही अंतिम संस्कार में वे शामिल हो सके।
अमित पुलिस वालों के लिए खाना बनाता रहा
नगर पालिका ने अमित अग्रवाल को ज़रूरतमंदों और कोरोना को लेकर दिन-रात ड्यूटी में जुटे पुलिस वालों को खाना उपलब्ध कराने का काम दिया था।
वह अपनी टीम के साथ इस काम में लगा हुआ था। बीमारी की बात सामने आते ही नगर पालिका प्रशासन ने ठेका रद्द कर दिया। अमित और उसकी पत्नी के अलावा भोजन पकाने और वितरित करने के कार्य में जुटे रहने वाले आधा दर्जन अन्य सहयोगियों को भी क्वरेंटाइन किया गया।
अमित की मौत की सूचना के बाद से रायसेन में हड़कंप मचा हुआ है। रायसेन ज़िला अस्पताल में उपचार के वक़्त अमित के संपर्क में आयीं चार नर्सों, वार्ड ब्वाॅय, ड्रेसर और उन सुरक्षा कर्मियों को भी क्वरेंटाइन किया गया है जो अमित और उसके स्टाॅफ के संपर्क में आये थे।
सबसे ज्यादा भयभीत वे पुलिस वाले और ज़रूरतमंद लोग हैं, जिन्होंने अमित और उनकी टीम के हाथों का बना भोजन कई दिनों तक खाया था। अमित और उसकी टीम से जुड़े सभी लोगों का पता लगाने में स्थानीय प्रशासन युद्ध स्तर पर जुटा हुआ है।
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