मर गई इंसानियत! भोपाल में लोग डूब रहे थे और बचाव के लिए गई नावें वीडियो बनवाने में लगी रहीं। गोताखोरों को मीडिया के लिए अच्छी फ़ुटेज देने के काम में लगा दिया गया। बचाव दल के दूसरे लोगों को किनारे पर रोक दिया गया। मीडिया कर्मियों में आपाधापी थी। सबसे अच्छी फ़ुटेज लेने की। चिंता थी कैमरे चमकाने की। बाइट लेने की जल्दी थी। लोगों की जान की परवाह किसे! अधिकारी बोट पर बैठकर मीडिया के लिए बाइट देते रहे। और जब सवाल किया गया तो अधिकारी ने कहा दिया कि लोगों तक सूचना पहुँचाकर मीडिया मदद कर रहा था। बता दें कि ख़बर लिखे जाने तक डूबे लोगों को ढूँढने का काम जारी था।