भारत की बहुत बड़ी आबादी अशिक्षित है। ख़ासकर ग्रामीण इलाक़ों में नीम-हकीम, बाबा और ओझाओं से रोगों का ‘इलाज’ आम है। नीम-हकीम, बाबा और ओझा के भरोसे रहना कितना घातक और जानलेवा साबित हो सकता है, इसका ज्वलंत उदाहरण मध्य प्रदेश के रतलाम से सामने आया है। हर मर्ज का हाथ चूमकर 'इलाज' करने वाला एक स्वयंभू बाबा, कोरोना का भी ‘उपचार’ करता रहा। बाबा की ख़ुद की जान चली गई और मृत्यु के पहले वह दो दर्जन लोगों को कोरोना वायरस का संक्रमण दे गया।