इस चुनाव में हर दूसरे दिन बीजेपी की रणनीति के इतने रंग देखने को मिले हैं कि उसे गिरगिटिया राजनीति की संज्ञा देना अनुचित नहीं होगा। मोदी, एक व्यक्ति की सनक और बीजेपी की रणनीति, एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। इनकी कुल मिलाकर एक ही कोशिश रहती है कि चुनावी परिदृश्य में एक अजीब प्रकार का कुहासा और उलझन छाई रहे जिससे मतदाता अपने इर्द-गिर्द के सच को झुठलाता हुआ समग्र स्थिति के विभ्रम में मोदी को पहले से विजेता मान कर उसके पीछे चलता रहे।
बंगाल में मोदी-शाह को मिल सकती है निराशा
- चुनाव 2019
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- 14 May, 2019

बीजेपी ने बंगाल की तासीर को समझा ही नहीं है। ‘ख़ून के बदले ख़ून’ की नीति पर चलते हुए और तृणमूल से मुक़ाबले के नाम पर उसने पूरी पार्टी को गुंडों को सौंप दिया है।