सुप्रसिद्ध इकोनॉमिस्ट पत्रिका ने अपने ताजा अंक में भारत का आर्थिक भूगोल पेश किया है। जिसमें उत्तर और दक्षिण भारत की तुलना की गई है। लेखक और चिन्तक अरुण माहेश्वरी का कहना पत्रिका का आकलन आंख खोलने वाला है, क्योंकि जिस तरह केंद्र सरकार एक भाषा, एक दल, एक राष्ट्र जैसे विचार को बढ़ा रही है, वो खतरनाक है। पढ़िए उनकी पूरी बात।