हिन्दी फ़िल्मों में कभी देशभक्ति के प्रतीक के तौर पर माने जाने वाले सनी देओल ने अब राजनीति में एंट्री कर ली है। अब राजनीति में उनकी देशभक्ति कैसी रहेगी, यह तो आगे चलकर पता चलेगा, लेकिन फ़िल्मों में देशभक्ति के मामले में वह काफ़ी बेबाक रहे हैं। राजनीति में आने से पहले पिछले पखवाड़े ही उन्होंने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा था कि उन्होंने देशभक्ति फ़िल्में सिर्फ़ इसलिये कभी नहीं की कि उसे पैसे कमाने को ध्यान में रखकर बनाया गया हो। तो क्या राजनीति में भी उनकी ऐसी 'देशभक्ति' बरक़रार रहेगी? और यदि ऐसा रहा तो बीजेपी की देशभक्ति से उनका टकराव तो नहीं होगा? यह सवाल इसलिए कि बीजेपी तो ख़ुद को सबसे बड़ी देशभक्त पार्टी बताती रही है, लेकिन विरोधी दल बीजेपी को 'छद्म देशभक्त' पार्टी क़रार देते रहे हैं।