ओडिशा के संबलपुर में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हेलिकॉप्टर की जाँच करने पर एक आईएएस अधिकारी मुहम्मद मोहसिन को चुनाव आयोग द्वारा निलंबित कर दिया गया। चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए निलंबन संबंधी आदेश में कहा गया है कि मोहसिन ने एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों के लिए तय निर्देशों के मुताबिक़ काम नहीं किया था। मोहसिन को जनरल ऑब्जर्वर के तौर पर चुनाव ड्यूटी में नियुक्त किया गया था। ख़बर के सामने आने पर यह कहा गया था कि एसपीजी सुरक्षा से जुड़े लोगों को इस तरह की जाँच से छूट प्राप्त होती है। लेकिन एनडीटीवी के मुताबिक़, ऐसा कोई नियम नहीं है जो चुनावों के दौरान किसी को भी इस तरह की जाँच से छूट देता हो। ख़बरों के मुताबिक़, इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी, चुनाव आयोग के अधिकारी इस मामले की जाँच करने के लिए ओडिशा भी गए थे। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मोहसिन को निलंबित किए जाने की निंदा की है।
मोहसिन पर आरोप है कि उन्होंने अनुशासनहीनता की है। बताया गया है कि मोहसिन के जाँच करने की वजह से प्रधानमंत्री मोदी को 15 मिनट तक वहाँ रुकना पड़ा। मोहम्मद मोहसिन 1996 बैच के कर्नाटक कैडर के आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अफ़सर हैं। इसके अलावा मंगलवार को ही उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के हेलिकॉप्टर और केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के चॉपर की भी चुनाव आयोग की टीम ने जाँच की थी।
एनडीटीवी के मुताबिक़, जब चुनाव आयोग के प्रवक्ता से यह पूछा गया कि मोहसिन ने कौन से नियम का उल्लंघन किया है तो उन्होंने कहा, ‘इस संबंध में 10 अप्रैल 2014 को जारी निर्देश में कहा गया है कि एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों को जाँच से बाहर रखा गया है।" एनडीटीवी के मुताबिक़, निलंबन आदेश में बताए गए निर्देशों को देखने पर पता चलता है कि इसमें किसी को भी जाँच से छूट की बात नहीं है।
चुनाव आयोग की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि चुनाव प्रचार में, चुनाव के दौरान या चुनाव से संबंधित किसी भी काम में सरकारी वाहनों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
चुनाव आयोग की ओर से 2014 में जारी किए गए निर्देश
एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों को लेकर आयोग के निर्देशों के मुताबिक़, ऊपर लिखे गए प्रतिबंध में सिर्फ़ प्रधानमंत्री और अन्य ऐसे राजनीतिक लोगों को छूट होगी, जिनके जीवन को चरमपंथी या आतंकवादी गतिविधियों से ख़तरा है और उन्हें उच्च सुरक्षा की आवश्यकता है और जिनकी सुरक्षा के संबंध में संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा वैधानिक प्रावधान बनाए गए हैं।
लेकिन चुनाव आयोग के निर्देश यह भी कहते हैं कि यदि ऐसा लगे कि एसपीजी एक्ट या किसी दूसरे निर्देशों के तहत अधिकारियों ने किसी दल या उम्मीदवार को ग़लत तरीके़ से चुनावी फ़ायदा पहुँचाने के लिए सुरक्षा ज़रूरतों का आकलन किया है तो चुनाव आयोग यह मामला संबंधित सरकार के ध्यान में लाएगा ताकि इसे दुरुस्त करने के लिए उचित कदम उठाया जा सके।
एनडीटीवी ने इस संबंध में चुनाव आयोग की ओर से सरकारी विमानों/हेलिकॉप्टरों के उपयोग को लेकर 14 जुलाई 1999 को जारी किए गए पोल पैनल के निर्देश की भी पड़ताल की है, इससे भी यही पता चलता है कि किसी भी व्यक्ति को जाँच के दायरे से बाहर नहीं रखा जा सकता है।
1999 में चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए निर्देश
मोहसिन के ख़िलाफ़ कार्रवाई के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने इस पर तीख़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने ट्वीट किया है कि आख़िर प्रधानमंत्री मोदी हेलिकॉप्टर में ऐसा क्या ले जा रहे थे जिसे वह देश को बताना नहीं चाहते। कांग्रेस ने कहा है कि चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक़, प्रधानमंत्री के वाहन को भी जाँच से छूट का अधिकार नहीं है। आम आदमी पार्टी ने भी ट्वीट किया, चौकीदार ख़ुद के ही बनाए गए सुरक्षित घेरे में रहता है, क्या वह कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा है?
बता दें कि पिछले दिनों कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष ने एक वीडियो ट्वीट किया था जिसमें दिख रहा था कि प्रधानमंत्री मोदी की कर्नाटक में रैली के दौरान उनके हेलिकॉप्टर से काले रंग का बक्सा उतारा गया था और इसे किसी गाड़ी में रखा जा रहा था। कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर इस पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से इसकी जाँच कराने की माँग की थी। कांग्रेस ने कहा था कि देश की जनता को यह जानने का आधिकार है कि उस बक्से के अंदर क्या था? लेकिन चुनाव आयोग ने इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
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