ख़म ठोक ठेलता है जब नर,
क्या कन्हैया कुमार को अपनाएगा बेगूसराय?
- चुनाव 2019
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- 13 Apr, 2019

जातीयता, साम्प्रदायिकता, राष्ट्रीयता, ग़रीबी, बेरोज़गारी आदि मुद्दों के बीच कौन जीतकर निकलेगा, यह बेगूसराय के लिए ही नहीं पूरे भारत के वैचारिक विमर्श का दिशा सूचक होगा।
पर्वत के जाते पाँव उखड़,
मानव जब जोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है !!
बेगूसराय! बुद्ध, महावीर की विहारस्थली, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की धरती, गंगा की कृपा से भारत की सबसे उर्वरा भूमि में से एक है। स्वतन्त्र भारत के शुरुआती दौर के औद्योगीकरण का प्रयोग क्षेत्र, वर्षा ऋतु में महीनों तक बाढ़ में डूबे दुनिया से कटे दियारे, बड़े-बड़े जमींदारों से लेकर भूमिहीन खेतिहर मजदूरों का हुजूम, इंटरनेशनल स्कूल चलानेवाले धनाढ्यों से लेकर औद्योगिक कचरा उठाने वाले जीविकोपार्जियों का जमघट भी बेगूसराय ही है। गर्म मिजाज, कुटीर शस्त्र उद्योग में कुख्यात, सामंतवाद का गढ़, दबंगई, रंगदारी - यह सब मिलकर बेगूसराय है और यह असली भारत का जीवंत प्रतीक है।