कर्नाटक में 2019 के लोकसभा चुनाव दो विचारधाराओं के बीच होगा। एक तरफ़ बीजेपी राष्ट्रवाद के नाम पर धार्मिक ध्रुवीकरण के आधार पर वोट की राजनीति करेगी तो दूसरी तरफ़ संघीय व्यवस्था के नाम पर विपक्ष एकजुट होकर अपनी राजनीति जनता के सामने परोसेगा। एक तरफ़ मोदी जी के नेतृत्व में बीजेपी कह रही है कि भारत की सबसे बड़ी वर्तमान समस्या पाकिस्तान, मुसलमान आदि हैं, जिसे सशक्त राष्ट्रवाद के ज़रिए ही निपटा जा सकता है -तो दूसरी तरफ़ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन कह रहा है कि राज्यों पर सबसे बड़ा ख़तरा तानाशाही केंद्र का है, अतः राज्यों की स्वायत्तता बचाना सबसे बड़ी चुनौती है। विपक्ष संविधान की दुहाई दे रहा है जिसमें ‘भारत राज्यों का संघ है’ लिखा हुआ है, तो बीजेपी ‘भारत एक राष्ट्र’ की लहर पर तैरने की फ़िराक़ में है। आने वाले कुछ दिनों में जनता का जो फ़ैसला आएगा, वह इस बात पर निर्भर करेगा कि इन विचारों का उद्गम क्या है, तथा कर्नाटक के राजनीतिक इतिहास में इन विचारों का महत्व कितना रहा है।