देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई से राजनीतिक बदलाव के संकेत आ रहे हैं। कॉरपोरेट जगत मोटे तौर पर अराजनीतिक बना रहता है और सरकार के साथ मिल कर अपने व्यावसायिक हितों की रक्षा करना ही उसका मक़सद रहता है। ऐसे में यदि कॉरपोरेट घरानों से जुड़े वोटर यह कहें कि उन्हें विपक्षी गठबंधन से कोई समस्या नहीे है तो इसे एक झटके से टाला नहीं जा सकता है। इसके राजनीतिक निहितार्थ हैं। यह इसका संकेत है कि कॉपोरेट जगत विपक्ष को यह संकेत दे रहा है कि उससे भविष्य में बनने वाली गठबंधन सरकार से कोई समस्या नहीं है। इससे यह संकेत भी मिलता है केंद्र की सरकार बदल सकती है, नया नेतृत्व उसकी जगह ले सकता है, नई पार्टी या पार्टियों के गठबंधन की सरकार उस जगह आ सकती है।