भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लोकसभा चुनाव जीतने के हर हथकंडे आजमा रही है, जिसमें से एक पिछड़े वर्ग को विभाजित कर उसके एक तबक़े का वोट खींचना भी शामिल है। सरकार के निशाने पर कुर्मी, यादव और एझवा जैसी 10 जातियाँ हैं, जिनका राजनीतिक दबदबा है और मुख्य रूप से ये जातियाँ ओबीसी हितों के लिए लड़ती रहती हैं।
मतदान के रुझान से निराश बीजेपी जातियों में तलाश रही ज़मीन
- चुनाव 2019
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- 10 May, 2019

बीजेपी लोकसभा चुनाव जीतने के हर हथकंडे आजमा रही है, जिसमें से एक पिछड़े वर्ग को विभाजित कर उसके एक तबक़े का वोट खींचना भी शामिल है। तो क्या इन जातियों को वह खींच पाएगी?
ऐसा लगता है कि बीजेपी ने 2019 का दूसरे चरण का चुनाव ख़त्म होते-होते मान लिया कि वह इस चुनाव में कुर्मी, यादव, कोइरी, निषाद जैसी प्रमुख जातियों का वोट नहीं पाने जा रही है। ओबीसी में थोड़ी अच्छी स्थिति होने के कारण इन जातियों के विद्यार्थी व अध्यापक मोदी सरकार के 5 साल के कार्यकाल में बहुत मुखर रहे हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से स्कॉलरशिप मिलने, विश्वविद्यालयों में रोस्टर, विभिन्न सरकारी संस्थानों में ओबीसी के प्रतिनिधित्व को लेकर यह तबक़ा मुखर रहा है। ऐसे में चुनाव के पहले से ही सरकार ने तैयारी कर ली थी कि ओबीसी की इन प्रमुख मुखर जातियों को अलग-थलग कर दिया जाए।