डॉ. हेडगेवार के दो उत्तराधिकारी संघ के अगले क़दम के बारे में मतभेद के धरातल पर थे, लेकिन उनमें परस्पर आदर का भाव कभी कम नहीं हुआ। वे अपने मत पर बने रहे। दूसरा कोई होता तो टकराव तय था। सरसंघचालक पद की मर्यादा और गुरुजी के प्रति अपना सम्मान रखते हुए बालासाहब ने एक अलग रास्ता निकाला। वे संघ कार्य से विमुख नहीं हुए, निष्क्रिय हो गए। अपनी सक्रियता के लिए नया क्षेत्र चुना। वे प्रयोग उन्होंने अपनी सार्थकता के लिए किए। बालासाहब खेती बाड़ी में लग गए, इसको लेकर उनके नाम पर यह मज़ाक भी चलता रहा कि बालासाहब ‘कल्चर’ के बजाय ‘एग्रीकल्चर’ में लग गए हैं। दूसरा ‘नर केसरी’ के माध्यम से पत्रकारिता को नई दिशा दी।
संघ के तीसरे प्रमुख देवरस सात साल आरएसएस से दूर रहे थे?
- साहित्य
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- 14 Jan, 2021

देवरस अपने मित्र और संघ के पुराने कार्यकर्ता तालातुले के माध्यम से संघ से जुड़े कोई सवाल लिख कर सरसंघचालक के पास भेज देते और गोलवलकर उनका जवाब तालातुले को दे देते थे। मगर गोलवलकर उन्हें वापस संघ में लाने की कोशिश अपने स्तर पर करते रहे। संघ के दो बड़े नेता भैयाजी दाणी और रानाडे, देवरस को समझाने और मनाने में लगे रहे, फिर देवरस की वापसी हुई नागपुर के कार्यवाह के तौर पर।