loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
51
एनडीए
29
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
225
एमवीए
52
अन्य
11

चुनाव में दिग्गज

हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट

आगे

गीता कोड़ा
बीजेपी - जगन्नाथपुर

पीछे

रंजीत श्रीनिवासन

केरल में 12 घंटे में दो राजनीतिक हत्याएं, अलपुझा में धारा 144

केरल के अलपुझा में बीजेपी नेता रंजीत श्रीनिवासन की आज सुबह हत्या कर दी गई है। वह भाजपा ओबीसी मोर्चा के राज्य सचिव थे।

हत्या का आरोप पीपल्स फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफआई) पर लगा है। इसी ज़िले में कल सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया के राज्य सचिव के. एस. शान की भी हत्या कर दी गई थी।

मुख्यमंत्री पी. विजयन ने दोनों हत्याओं की कड़ी निंदा की है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा है कि सीएम ने पुलिस अफ़सरों को निर्देश दिए हैं कि हमलावरों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाए।

ताज़ा ख़बरें

दोनों घटनाओं के मद्देनज़र अलपुझा शहर में धारा 144 लगा दी गई है, ताकि लोग किसी तरह से क़ानून व्यवस्था भंग न कर सकें।

अलपुझा के डीएम ए. अलेक्ज़ेंडर ने दावा किया है कि हालात सामान्य हैं।

राजनीतिक असर

केरल में बीजेपी नेता की हत्या ने राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सी. टी. रवि ने पीएफ़आई के कार्यकर्ताओं को 'आतंकी' बताते हुए मुख्यमंत्री पी. विजयन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा दिया है।

केरल में इस हत्या की गूंज आज ही यूपी में भी सुनाई दे सकती है। बीजेपी इस घटना का इस्तेमाल चुनाव मोड में आ चुके उत्तर प्रदेश में कर सकती है।

केरल में पीएफआई के कार्यकर्ता आमतौर पर मुसलिम हैं। केरल में सीपीएम, कांग्रेस, पीएफआई और बीजेपी कार्यकर्ताओं की भिड़ंत की ख़बरें आए दिन आती हैं।

इससे पहले भी कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या केरल में हो चुकी है। हालाँकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ बीजेपी कार्यकर्ताओं की ही केरल में हत्याएँ हुई हैं। 

केरल से और ख़बरें

सीपीएम, कांग्रेस और पीएफआई के कई कार्यकर्ताओं की हत्याएं राज्य में हो चुकी हैं।

बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया है कि पीएफआई कार्यकर्ताओं ने पिछले दो महीनों में तीन बीजेपी-संघ नेताओं की हत्याएँ की हैं।

रंजीत श्रीनिवासन पेशे से वकील थे। पुलिस इस बात की जाँच कर रही है कि क्या वाक़ई इस घटना का संबंध पीएफआई से है?

रंजीत 2016 में बीजेपी से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। उनकी ज़मानत ज़ब्त हो गई थी।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

केरल से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें