सरकार चाहे जो दावे करे, दलितों पर होने वाले अत्याचार रुक नहीं रहे हैं। कर्नाटक में बीते दिनों हुई एक वारदात में एक सवर्ण की मोटर साइकिल छू लेने के कारण एक दलित को कथित तौर पर नंगा कर बुरी तरह पीटा गया। उसके परिवार वालों को भी नहीं बख्शा गया और उन्हें भी बुरी तरह मारा-पीटा गया।
राजधानी बेंगलुरू से क़रीब 530 किलोमीटर दूर विजयपुर ज़िले की यह घटना है। एक वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि कुछ लोगों ने एक व्यक्ति को नंगा कर ज़मीन पर लिटा दिया है और उसे लाठियों व जूतों से बुरी तरह पीट रहे हैं।
जाँच शुरू
पुलिस ने इसकी पुष्टि कर दी है और मामले की जाँच शुरू कर दी है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अनुपम अग्रवाल ने कहा, 'मिनाजी गाँव में दलित पर हुए हमले के मामले में तालीकोट थाने में केस दर्ज कर लिया गया है।' उन्होंने कहा,
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'यह आरोप है कि जब दलित व्यक्ति ने एक सवर्ण की मोटर साइकिल को भूल से छू लिया, 13 लोगों ने मिल कर उसे और उसके परिवार वालों को पीटा।'
अनुपम अग्रवाल, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी
पुलिस को लिखाई गई शिकायत में 13 लोगों के नाम हैं। अनसूचित जाति-जनजाति अधिनियम की धारा 143, 147, 324, 504, 506 और 149 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जिस समय लोगों से सोशल डिस्टैंसिंग बरतने को कहा जा रहा है, कुछ लोगों ने मिल कर और भीड़ बना कर एक दलित और उसके परिजनों को पीटा है।
कर्नाटक में दलित अत्याचार की वारदात पहले भी होती रही हैं। इसे इससे समझा जा सकता है कि कर्नाटक के चित्रदुर्ग से बीजेपी के एक दलित सांसद को एक गाँव में वहाँ के लोगों ने आने ही नहीं दिया। सांसद का नाम ए. नारायणस्वामी है।
सांसद सांसद तुमाकुरु ज़िले के पावागड़ा इलाक़े के परामलहल्ली गाँव में जा रहे थे तभी इस गाँव के पिछड़ी जाति के लोगों ने उन्हें गांव में आने से रोक दिया। इस गाँव में काडू गोला जनजाति के लोग रहते हैं। जब यह घटना हुई तो सांसद अपने साथियों के साथ गाँव में विकास कार्यों का जायजा लेने के लिए जा रहे थे।
इस घटना के बाद देश भर में यह सवाल उठने लगा कि जब सांसद के साथ इस तरह की घटना हो सकती है तो फिर दलित समुदाय के आम व्यक्ति के साथ कैसा व्यवहार होता होगा।
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