कोरोना से सबसे ज़्यादा संक्रमित देशों की सूची में भारत भले ही तीसरे स्थान पर है, लेकिन हर रोज़ संक्रमण के जो मामले अब आने लगे हैं उसमें भारत दूसरे स्थान पर आ गया है। यह काफ़ी चिंताजनक स्थिति है। यह इसलिए कि यदि भारत में संक्रमण की रफ़्तार ऐसे ही बनी रही तो भारत जल्द ही सबसे ज़्यादा संक्रमण के मामले में भी दूसरे स्थान पर आ जाएगा। और तब पहले स्थान पर काबिज अमेरिका में आँकड़े शायद भारत से काफ़ी ज़्यादा नहीं रहें। यह इसलिए कि मशहूर अमेरिकी संस्था मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते टीका या दवा इजाद नहीं की गई तो भारत की स्थिति सबसे बुरी होगी और यहाँ संक्रमितों की तादाद 2.87 लाख प्रतिदिन हो सकती है।
यदि किसी देश में हर रोज़ कोरोना संक्रमण के मामले क़रीब 3 लाख आने लगें तो स्थिति को संभालना कितना मुश्किल होगा, इसका अंदाज़ा अभी ही लगाया जा सकता है।
फ़िलहाल स्थिति यह है कि भारत में 11 लाख से ज़्यादा कोरोना संक्रमण के मामले आ चुके हैं और इस मामले में यह फ़िलहाल तीसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर अमेरिका है। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, अमेरिका में 37 लाख 73 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले हैं और एक लाख 40 हज़ार से ज़्यादा मौतें हुई हैं। ब्राज़ील में 20 लाख 98 हज़ार संक्रमण के मामले हैं और क़रीब 80 हज़ार लोगों की मौत हुई है।
लेकिन हर रोज़ संक्रमण आने के मामले में भारत अब दूसरे स्थान पर आ गया है। पहले स्थान पर अमेरिका है। वर्ल्ड मीटर इन्फ़ो के अनुसार वहाँ हर रोज़ क़रीब 65 हज़ार नये केस आ रहे हैं। भारत में आज 40 हज़ार और एक दिन पहले 19 जुलाई को क़रीब 39 हज़ार केस सामने आए थे। ब्राज़ील में 19 जुलाई को क़रीब 24 हज़ार केस सामने आए थे।
ब्राज़ील में हर रोज़ आने वाले कोरोना वायरस के मामले काफ़ी ज़्यादा बढ़ते-घटते रहे हैं। कभी 16 हज़ार आ जाते हैं तो कभी 30 हज़ार तो कभी 55 हज़ार। मिसाल के तौर पर 18 जून को क़रीब 23 हज़ार संक्रमण के मामले आए थे, फिर 19 जून को 55 हज़ार आए गए और फिर 20 जून को 31 हज़ार और 21 जून को 16 हज़ार। अब 15 जुलाई को ब्राज़ील में क़रीब 39 हज़ार केस आए थे, 16 जुलाई को क़रीब 43 हज़ार आए,17 जुलाई को क़रीब 34 हज़ार, 18 जुलाई को 26 हज़ार और 19 जुलाई को क़रीब 24 हज़ार मामले आए हैं। ये आँकड़े वर्ल्ड मीटर्स इन्फ़ो के अनुसार हैं।
भारत में स्थिति अलग है। यदि आँकड़ों में मामूली उतार-चढ़ाव को छोड़ दें तो भारत में हर रोज़ संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते रहे हैं।
पिछले चार दिन के आँकड़ों को ही देख लें। आज जारी आँकड़ों के अनुसार, 40,425 नए मामले सामने आए, जबकि 19 जुलाई को 38 हज़ार 902 मामले, 18 जुलाई को 34,884, 17 जुलाई को 34 हज़ार 954 और 16 जुलाई को 32 हज़ार 695 मामले सामने आए थे। इस तरह भारत में हर रोज़ आँकड़े बढ़ते जा रहे हैं जबकि ब्राज़ील में ये घटते हुए दीखते हैं।
हर रोज़ संक्रमण बढ़ने की वजह से ही भारत में स्थिति लगातार ख़राब होती दिख रही है। दुनिया में सबसे ज़्यादा लंबे समय तक और सबसे ज़्यादा सख़्त लॉकडाउन लगाने के बाद भी संक्रमण के मामले कम नहीं हुए।
संक्रमण की रफ़्तार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पहला मामला आने के बाद 1 लाख तक पहुँचने में 111 दिन लगे थे, लेकिन अब 10 लाख से 11 लाख के मार्क तक पहुँचने में सिर्फ़ तीन दिन लगे हैं। कोरोना संक्रमण के मामले 1 लाख से 2 लाख तक पहुँचने में सिर्फ़ 15 दिन लगे, दो लाख से 3 लाख पहुँचने में 10 दिन लगे, चार लाख पहुँचने में 8 दिन लगे और पाँच लाख पहुँचने में 6 दिन लगे थे।
संक्रमण के मामले पाँच लाख से 6 लाख, 6 लाख से 7 लाख और 7 लाख से 8 लाख तक पहुँचने में 5-5 दिन लगे थे। अब 8 लाख से 9 लाख, 9 लाख से 10 लाख और 10 लाख से 11 लाख पहुँचने में 3-3 दिन ही लगे हैं।
देश में संक्रमण बढ़ने की इस रफ़्तार को शुरुआत से देखें तो मामले लगातार बढ़ते हुए दिखते हैं। 30 जनवरी को पहला मामला आने के बाद 31 फ़रवरी तक सिर्फ़ 3 मामले थे। 24 मार्च को जब प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन की घोषणा की थी तब सिर्फ़ 564 कोरोना वायरस पॉजिटिव मामले थे। 31 मार्च तक क़रीब 1400 मामले आए थे। अप्रैल के आख़िर में यह संख्या बढ़कर क़रीब 35 हज़ार के पास पहुँच गई थी।
अब यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही तो हालात बेहद ख़राब हो सकते हैं। मैसाचुसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने भी तो चेताया है कि यदि टीका या दवा इजाद नहीं हुई तो भारत की स्थिति सबसे बुरी होगी। अब उम्मीद दवा पर ही टिकी हुई है।
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