जम्मू-कश्मीर में क्या पत्रकारों की आवाज़ को दबाया जा रहा है और इसीलिए उनके ख़िलाफ़ पुलिस सख़्त कार्रवाई कर रही है? यह सवाल कश्मीर प्रेस क्लब द्वारा पत्रकारों पर कथित ग़ैर क़ानूनी कार्रवाई और राजनीतिक दलों द्वारा मीडिया की आवाज़ को दबाने के आरोप लगने के बाद उठ रहे हैं। उन्होंने ये आरोप तब लगाए हैं जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक महिला फ़ोटोग्राफ़र पर सख़्त क़ानून ग़ैरक़ानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए लगाया है। इस क़ानून को देश की एकता और स्वायतता पर ख़तरा होने पर लगाया जाता है। पुलिस का आरोप है कि फ़ोटोग्राफ़र ने सोशल मीडिया पर 'देश विरोधी' पोस्ट डाले हैं। एक अन्य मामले में पुलिस ने 'द हिंदू' के पत्रकार पर 'फ़ेक न्यूज़' छापने का आरोप लगाकर एफ़आईआर दर्ज की है।
कश्मीर: पोस्ट के लिए फ़ोटोग्राफ़र पर यूएपीए; मीडिया की आवाज़ दबाने का प्रयास?
- जम्मू-कश्मीर
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- 21 Apr, 2020
जम्मू-कश्मीर में क्या पत्रकारों की आवाज़ को दबाया जा रहा है और इसीलिए उनके ख़िलाफ़ पुलिस सख़्त कार्रवाई कर रही है?

राज्य की राजनीतिक पार्टी पीडीपी और पीपल्स कॉन्फ़्रेंस ने पुलिस की इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला क़रार दिया है। इसके साथ ही इस कार्रवाई को इसने कश्मीर में मीडिया को 'चुप कराने का खुला प्रयास' बताया है।