प्रधानमंत्री मोदी की गुरुवार को श्रीनगर में होने वाली रैली विवादों में आ गई है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने प्रधानमंत्री की रैली के लिए हजारों कर्मचारियों को रैली में शामिल होने के लिए कहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह ऐच्छिक नहीं, बल्कि कर्मचारियों के लिए अनिवार्य किया गया है। कार्यक्रम में शामिल नहीं होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने उस सूची को भी ट्वीट किया है जिसमें कर्मचारियों के नाम और रैली में ले जाने वाले वाहनों की जानकारी भी है। उसमें लिखा गया है कि 7000 भाग लेने वालों की वीवीआईपी यात्रा और वाहनों की सूची।
Tomorrow the godi media & agencies will be gushing about the “historic crowd” gathered to hear PM Modi in Srinagar. What they will conveniently forget to mention is that almost none of the people there will be attending of their own free will. The dictatorial J&K Govt has pulled… pic.twitter.com/NawQGPn8Zf
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) March 6, 2024
उमर ने कहा है, "कल गोदी मीडिया और एजेंसियां श्रीनगर में पीएम मोदी को सुनने के लिए इकट्ठा हुई 'ऐतिहासिक भीड़' के बारे में बात करेंगी। वे आसानी से यह बताना भूल जाएंगे कि वहाँ मौजूद लगभग कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से इसमें शामिल नहीं होगा। तानाशाही जम्मू-कश्मीर सरकार ने प्रधानमंत्री को भीड़ देने के लिए हर संभव कोशिश की है क्योंकि भाजपा प्रशासन के बिना जम्मू-कश्मीर में कुछ भी संभाल नहीं सकती है।"
उन्होंने आगे कहा है, 'कर्मचारियों, पुरुषों और महिलाओं दोनों, जिनकी उम्र हजारों के आसपास है, को आयोजन स्थल तक जाने के लिए सुबह 4:30 से 5:30 बजे के बीच बर्फ जमा देने वाले तापमान में इकट्ठा होने के लिए कहा जा रहा है। यह भागीदारी वैकल्पिक नहीं है, अनिवार्य है। जो कर्मचारी उपस्थित नहीं होंगे उन्हें उनके विभाग प्रमुखों द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी दी गई है। डीपीएस आदि जैसे निजी स्कूलों ने इन सभी कर्मचारियों को कार्यक्रम स्थल तक पहुंचाने के लिए अपनी बसों की कमान संभाली है।'
एक रिपोर्ट है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कथित तौर पर लगभग 7,000 कर्मचारियों को श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में एक रैली में भाग लेने का निर्देश दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह रैली नौ वर्षों में श्रीनगर में उनकी पहली रैली होगी और यह कश्मीर में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के अभियान की शुरुआत के तौर पर भी होगी।
अनुच्छेद 370 को खत्म करने के भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के फैसले को कश्मीर में व्यापक समर्थन देने की कोशिश के तहत प्रशासन ने शिक्षा, खेल, कृषि, सामाजिक कल्याण, ग्रामीण विकास और अन्य सहित 13 विभागों के कर्मचारियों को आदेश दिया है कि वे पीएम की रैली में शामिल हों।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रशासन ने कथित तौर पर श्रीनगर में निजी स्कूलों को इन कर्मचारियों को अपनी बसों में बख्शी स्टेडियम तक ले जाने का आदेश दिया है। श्रीनगर में खाद्य सुरक्षा विभाग को 62 बेकरी शॉप के प्रतिनिधियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।
ख़बरों के मुताबिक, सुरक्षा एजेंसियों को यह पता लगाने का आदेश दिया गया है कि जिन कर्मचारियों को मोदी की रैली में शामिल होने का निर्देश दिया गया है, उनका अलगाववादी समूहों या आतंकवादी संगठनों से कोई संबंध तो नहीं है। एक स्थानीय रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीनगर में 100 से अधिक होटल, लॉज और गेस्ट हाउस को बीजेपी द्वारा रैली से एक दिन पहले से बुक किया गया है ताकि उनके कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों को कार्यक्रम स्थल तक सुचारू परिवहन सुनिश्चित किया जा सके।
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