एक बार में यकायक सुरक्षा बलों के 10 हज़ार लोगों की जम्मू-कश्मीर में तैनाती से कई सवाल खड़े हो गए हैं। यह सवाल आम जनता ही नहीं, सुरक्षा बलों और राजनीतिक दलों के बीच भी पूछा जा रहा है कि इसके पीछे क्या वजह है। क्या इस सुलगते हुए राज्य में पुलवामा की तरह किसी बड़े आतंकवादी हमले की आशंका है? क्या कठोर कार्रवाई में यकीन रखने वाली नरेंद्र मोदी सरकार का मानना है कि पूरे राज्य को छावनी में तब्दील कर देने से कश्मीर समस्या का समाधान हो जाएगा? क्या सरकार संविधान के अनुच्छेद 35 'ए' को ख़त्म करने जा रही है, जिसके तहत बाहर के लोगों को जम्मू-कश्मीर में बसने या स्थायी जायदाद ख़रीदने का हक़ नहीं है?