जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती तालिबान के कब्जे वाले अफ़ग़ानिस्तान के हालात और जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 370 को लेकर दिए बयान पर विवादों में फँस गई हैं। उन्होंने बीजेपी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति से सबक़ लेने को चेताया और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को बहाल करने का आग्रह किया। पूर्व मुख्यमंत्री इस तरफ़ इशारा कर रही थीं कि अमेरिका जैसे ताक़तवर देश को भी तालिबान के सामने पीछे हटना पड़ा और बातचीत करनी पड़ी है। उनके इस बयान पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई है।
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'महाशक्ति अमेरिका को अपना बोरिया बिस्तर समेटकर भागना पड़ा। आपके पास अभी भी जम्मू-कश्मीर में एक संवाद प्रक्रिया शुरू करने का अवसर है जैसे वाजपेयी के पास था। जम्मू-कश्मीर की पहचान को अवैध रूप से छीनने व असंवैधानिक रूप से जम्मू-कश्मीर का विभाजन करने की अपनी ग़लती को सुधारें, अन्यथा बहुत देर हो जाएगी।' पूर्व मुख्यमंत्री शनिवार को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम ज़िले में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रही थीं।
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने का ज़िक्र करते हुए महबूबा ने केंद्र को 'धैर्य की परीक्षा नहीं लेने' की चेतावनी दी और सरकार से अपने तरीक़े सुधारने, स्थिति को समझने और पड़ोस में जो हो रहा है उसे देखने को कहा। हालाँकि इसके साथ ही महबूबा ने युवाओं से हथियार नहीं उठाने की अपील करते हुए कहा कि इस मुद्दे को बंदूकों या पत्थरों से हल नहीं किया जा सकता है।
महबूबा ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर के लोग जिस हालात से गुजर रहे हैं उसका सामना करने के लिए साहस की ज़रूरत है। जिस दिन उनका धैर्य ख़त्म हो जाएगा, आप (केंद्र) बर्बाद हो जाएँगे। हमारे धैर्य की परीक्षा न लें। देखो हमारे पड़ोस (अफगानिस्तान) में क्या हो रहा है। तालिबान ने शक्तिशाली अमेरिकी बलों को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया।'
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने तालिबान से बात की और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार सहित नई दिल्ली की पिछली सरकारों ने भी जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से बात की। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'एक समय आएगा जब वे अपने घुटनों पर झुकेंगे और हमसे पूछेंगे कि हम क्या चाहते हैं'।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने इसके साथ ही तालिबान से अफ़ग़ान लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा नहीं करने का भी आग्रह किया।
उन्होंने कहा, 'दुनिया अब तालिबान के व्यवहार को देख रही है। मैं तालिबान से आग्रह करती हूँ कि वह कोई भी ऐसा कार्य न करे जो अफ़ग़ान लोगों के ख़िलाफ़ हो। मैं उनसे ऐसा कुछ भी नहीं करने का आग्रह करती हूँ जो दुनिया को उनके ख़िलाफ़ जाने के लिए मजबूर करे। तालिबान में बंदूकों की भूमिका ख़त्म हो गई है और विश्व समुदाय देख रहा है कि वे लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं।'
महबूबा की टिप्पणी पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उसने उन पर केंद्र शासित प्रदेश में अपना आधार खोने के बाद नफ़रत की राजनीति करने का आरोप लगाया।
महबूबा की टिप्पणी पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उनसे इस समय इस तरह का बयान देने से परहेज करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, 'उनकी पुरानी आदत है कि वे ऐसी टिप्पणी करती हैं जो राष्ट्र के हित में नहीं हैं। उन्हें समझना चाहिए कि अनुच्छेद 370 हमेशा के लिए ख़त्म हो गया। सरकार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों से लगातार बात कर रही है, लेकिन वह कहीं और बात करना चाहती हैं।'
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, 'कल पीएम ने कहा है कि सहिष्णुता हमारी संस्कृति और परंपरा है लेकिन आतंकवाद के ख़िलाफ़ जीरो टॉलरेंस हमारा संकल्प है। उस संकल्प के साथ भारत और इसके लोग आगे बढ़ रहे हैं। इस तरह के बयान देने वालों के कुछ दुर्भावना इरादे हैं।'
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