नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बनेंगे। फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को श्रीनगर में इसकी घोषणा की। उनकी पार्टी जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनावों में बहुमत के आँकड़े से आगे बढ़ती दिख रही है।
उमर अब्दुल्ला इससे पहले 2009 से 2015 तक शीर्ष पद पर रह चुके हैं। उन्होंने मंगलवार सुबह एक पोस्ट में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मतगणना का दिन उनके लिए अच्छा रहेगा। 54 वर्षीय एनसी नेता ने कहा, 'पिछली बार मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से यह अच्छा नहीं रहा था। इंशाअल्लाह इस बार यह बेहतर होगा।'
बहरहाल, पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने यह भी उम्मीद जताई कि इंडिया गठबंधन के सहयोगी जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की लड़ाई में एनसी की मदद करेंगे। विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद यह केंद्र शासित प्रदेश बन गया है।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार और महबूब मुफ्ती की बेटी इलित्जा मुफ्ती मतगणना शुरू होने के बाद से ही बिजबेहरा सीट पर पिछड़ती रहीं। 12 में से 6 राउंड की वोटिंग के बाद सुबह 11 बजे तक करीब 4334 वोटों से पीछे रहीं इल्तिजा ने हार मान ली। उन्होंने कहा, 'मैं जनता का फैसला स्वीकार करती हूं। बिजबेहरा में सभी से मुझे जो प्यार और स्नेह मिला, वह हमेशा मेरे साथ रहेगा। मेरे पीडीपी कार्यकर्ताओं का आभार जिन्होंने इस पूरे अभियान में इतनी मेहनत की।'
नेशनल कॉन्फ्रेंस उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बडगाम विधानसभा सीट से जीत हासिल कर ली है। उन्होंने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के आगा सैय्यद मुंतजिर मेहदी को 18000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया।
उमर ने बडगाम में 36,010 वोट हासिल किए जबकि मेहदी को 17,525 वोट मिले। वह अपने परिवार के गढ़ गांदरबल से भी आगे चल रहे हैं। कुल 17 में से 16 राउंड की मतगणना के बाद उमर 10 हज़ार से भी ज़्यादा वोटों से आगे थे।
उमर अब्दुल्ला की राजनीतिक पारी 1998 में लोकसभा चुनावों के साथ शुरू हुई थी। तब वह केवल 28 साल की उम्र में लोकसभा सांसद बन गए थे। उन्होंने कॉमर्स और इंडस्ट्री राज्य मंत्री के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार में काम किया। 2002 में व नेशनल कांफ्रेंस की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष बने थे। इसके बाद वह 2009 से 2015 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे।
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