लीजिए, हमारी फलती-फूलती अर्थव्यवस्था और आर्थिक विकास के तमाम दावों की खिल्ली उड़ाने और आईना दिखाने वाली एक और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट आ गई। संयुक्त राष्ट्र की 'वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट-2021’ बता रही है कि खुशमिजाजी के मामले में भारत का मुकाम दुनिया के तमाम विकसित और विकासशील देशों से ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान समेत तमाम छोटे-छोटे पड़ोसी देशों और युद्ध से त्रस्त फ़लस्तीन से भी पीछे है।

संयुक्त राष्ट्र की 'वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट-2021’ बता रही है कि खुशमिजाजी के मामले में भारत का मुकाम दुनिया के तमाम विकसित और विकासशील देशों से ही नहीं बल्कि पाकिस्तान समेत तमाम छोटे-छोटे पड़ोसी देशों और युद्ध से त्रस्त फ़लस्तीन से भी पीछे है।
हमारे देश में पिछले तीन दशक से यानी जब से नव उदारीकृत आर्थिक नीतियाँ लागू हुई हैं, तब से सरकारों की ओर से आए दिन आँकडों के सहारे देश की अर्थव्यवस्था की गुलाबी तसवीर पेश की जा रही है। आर्थिक विकास के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले सर्वे भी अक्सर बताते रहते हैं कि भारत तेज़ी से आर्थिक विकास कर रहा है और देश में अरबपतियों की संख्या में भी इज़फ़ा हो रहा है। इन सबके आधार पर तो तसवीर यही बनती है कि भारत के लोगों की खुशहाली लगातार बढ रही है। लेकिन हक़ीक़त यह नहीं है।