प्याज की कीमत क्यों बढ़ी?
इसके पहले सरकारी एजेन्सियों को लगता था कि जल्द ही प्याज की कीमतें गिरेंगी, क्योंकि नया प्याज बाज़ार में आ जाएगा। पर ऐसा नहीं हुआ, नया प्याज अभी बाज़ार तक नहीं पहुँचा है।“
किसानों के पास प्याज का स्टॉक नहीं बचा है, बाज़ार में कम प्याज आने की आशंका है और इस वजह से प्याज की कीमत बढ़ने के आसार हैं।
सतीश भोंडे, पूर्व अतिरिक्त निदेशक, नेशनल हॉर्टीकल्चर रीसर्च एंड डेवलपमेंट फ़ाउंडेशन
पर्यवेक्षकों का कहना है कि प्याज की कीमत बढ़ने की मुख्य वजह केंद्र सरकार की नीति है। सरकार महाराष्ट्र की मजबूत प्याज लॉबी के दबाव में आकर प्याज निर्यात पर तरह-तरह के प्रोत्साहन देती है। इस वजह से प्याज का निर्यात बढ़ता है, घरेलू बाज़ार में उपलब्धता घटती है और कीमत बढ़ जाती है।
किसानों को फ़ायदा नहीं, नुक़सान!
बढ़ी कीमत पर उत्साहित किसान अगले साल ज़्यादा एकड़ ज़मीन पर प्याज उगाते हैं, प्याज की अधिकता हो जाती है और कीमत गिर जाती है। इससे किसानों को नुक़सान होता है। इसका नतीजा यह होता है कि बढ़ी कीमत का फ़ायदा तो किसानों को नहीं मिलता, पर गिरी कीमतों का नुक़सान उन्हें उठाना होता है।इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प भूमिका होती है निर्यातकों और बिचौलियों की। वे अपने हिसाब से कीमतें घटाते-बढ़ाते हैं, उन्हें अधिक मुनाफ़ा होता है, लेकिन वह मुनाफ़ा उस अनुपात में किसानों तक नहीं पहुँच पाता है।
सोने की चमक फीकी!
दूसरी ओर बहुमूल्य धातु सोने की चमक फीकी पड़ चुकी है। पिछले हफ़्ते सोने की कीमत लगातार गिरती रही और गुरुवार को कारोबार बंद होते समय 10 ग्राम सोने की कीमत गिर कर 38,214 रुपये पर पहुँच गई। बाद में सोने की कीमत गिर कर 38,016 प्रति 10 ग्राम हो गई। पूरे हफ्ते में सोने की कीमत प्रति 10 ग्राम 610 रुपये तक गिरी थी। इसके बाद इसकी स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ और यह शुक्रवार को 38,475 रुपये तक चढ़ी।सवाल यह उठता है कि सरकार ऐसी नीतियाँ क्यों नहीं बनाती, जिससे किसानों को सही पैसे मिले और उपभोक्ताओं को भी उचित कीमत पर प्याज मिले। यह संतुलन क्यों नहीं बनता, यह सवाल उठना लाजिमी है।
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