इस देश की अर्थव्यवस्था या आर्थिक प्रबंधन पर सवालिया निशान खड़े होना स्वाभाविक है, जहाँ एक ओर प्याज जैसी मामूली चीज खरीददारों को आँसू निकाल रही है तो दूसरी ओर सोने जैसी बहुमूल्य चीज की चमक फीकी पड़ गई है। यह विरोधाभास और विडंबना सरकार की आर्थिक नीतियों की पोल तो खोलती ही है, बाज़ारवादी अर्थव्यवस्था के खोखलेपन को भी उजागर करती है।
मामूली प्याज निकाले आँसू, सोने की चमक फीकी, ऐसी आर्थिक नीतियाँ क्यों?
- अर्थतंत्र
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- 6 Nov, 2019

प्याज की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी और सोने की कीमत का लगातार गिरना कई सवाल खड़े करता है। यह किस आर्थिक नीति का नतीजा है और सरकार क्यों हस्तक्षेप नहीं करती है?