नोएल टाटा को शुक्रवार 11 अक्टूबर 2024 को अपने सौतेले भाई रतन टाटा के उत्तराधिकारी के रूप में टाटा ट्रस्ट का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। यह नियुक्ति मुंबई में आयोजित टाटा ट्रस्ट बोर्ड की एक बैठक के दौरान की गई और इस पर आमराय से सहमति व्यक्त की गई। पूरे देश की नजरें इस खबर पर थी कि टाटा समूह का नेतृत्व अब कौन करेगा।
टाटा ट्रस्ट, जिसके पास विशाल टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 66% हिस्सेदारी है, समूह के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कई वर्षों तक टाटा ट्रस्ट और टाटा समूह का नेतृत्व करने वाले रतन टाटा के कोई बच्चे नहीं थे और उन्होंने ट्रस्ट में अपने पद के लिए किसी उत्तराधिकारी का नाम नहीं रखा था। परिणामस्वरूप, अगले नेता पर निर्णय लेने के लिए बोर्ड की बैठक बुलाई गई। नोएल टाटा, जो वर्षों से ट्रस्टों के साथ निकटता से जुड़े हुए हैं, को इस भूमिका के लिए स्वाभाविक पसंद के रूप में देखा गया। पीएम मोदी ने विदेश रवाना होने से पहले नोएल टाटा को ही फोन करके रतन टाटा के निधन पर अफसोस जताया था।
नोएल टाटा को नियुक्त करने का निर्णय रतन टाटा के अंतिम संस्कार के ठीक एक दिन बाद हुआ। बोर्ड बैठक के दो ही एजेंडे थे। रतन टाटा को श्रद्धांजलि और नए अध्यक्ष का चुनाव। बोर्ड का यह फैसला रतन टाटा की उस फिलासफी पर आधारित है कि हमें बिना किसी देरी के "आगे बढ़ना" (मूव ऑन) और नेतृत्व की निरंतरता बनाये रखना है।
67 साल के नोएल टाटा, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट में ट्रस्टी रहे हैं, जिनके पास टाटा संस में बहुमत की हिस्सेदारी है। टाटा समूह के साथ उनके लंबे समय तक जुड़ाव और इन ट्रस्टों में उनकी भूमिका ने उन्हें रतन टाटा के निधन के बाद अध्यक्ष पद के लिए सबसे आगे रखा।
पारसी समुदाय परंपरागत रूप से टाटा समूह से निकटता से जुड़ा हुआ है। वो टाटा उपनाम वाले किसी व्यक्ति को नियुक्त करने के पक्ष में था, और नोएल टाटा आमराय से पहली पसंद थे। उनकी शांत और संयमित नेतृत्व शैली उनके दिवंगत सौतेले भाई रतन टाटा जैसी नहीं है। वो बहुत ज्यादा खुद को हर प्रोजेक्ट में आगे नहीं रखते हैं। वो काम का नतीजा चाहते हैं, नाम नहीं।
नोएल टाटा 40 वर्षों से अधिक समय से टाटा समूह के भीतर एक प्रमुख व्यक्ति रहे हैं। वह वर्तमान में टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड, वोल्टास और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन सहित कई टाटा समूह की कंपनियों के बोर्ड में हैं। वह टाटा स्टील और टाइटन कंपनी लिमिटेड के उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य करते हैं।
टाटा समूह के रिटेल बिजनेस ट्रेंट में उनका नेतृत्व विशेष रूप से उल्लेखनीय है। 11 वर्षों से अधिक समय तक ट्रेंट के प्रबंध निदेशक के रूप में, नोएल टाटा ने कंपनी की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की। जिससे ट्रेंट 2.8 लाख करोड़ रुपये की रिटेल दिग्गज कंपनी में बदल गई। वह 2010 से 2021 तक टाटा इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक भी रहे, इस दौरान उन्होंने कंपनी का कारोबार $500 मिलियन से बढ़ाकर $3 बिलियन से अधिक कर दिया।
टाटा समूह में नोएल टाटा का योगदान इन भूमिकाओं से परे है। 2014 से, वह ट्रेंट लिमिटेड के अध्यक्ष रहे हैं, एक ऐसी कंपनी जिसने उनके नेतृत्व में पिछले दशक में अपने शेयरों में 6,000% से अधिक की वृद्धि देखी है। उन्हें समूह के ग्लोबल बिजनेस, विशेष रूप से रिटेल और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्षेत्रों में रणनीति बनाने के लिए भी जाना जाता है।
रतन टाटा के विपरीत, जो अपनी प्रमुख सार्वजनिक उपस्थिति के लिए जाने जाते थे, नोएल टाटा ने नेतृत्व के लिए अधिक विनम्र नजरिया अपनाया है। वो अक्सर पर्दे के पीछे काम करते हैं। उनकी नेतृत्व शैली लगातार और दूरगामी नतीजे वाले नजरिये के साथ व्यवसायों के निर्माण पर केंद्रित रही है, जिससे उन्हें समूह के भीतर सम्मान मिला है।
नोएल टाटा नवल टाटा, जो रतन के पिता भी थे, और सिमोन टाटा के बेटे हैं। टाटा परिवार के साथ उनका संबंध हमेशा मजबूत रहा है, और विभिन्न टाटा कंपनियों के भीतर उनकी व्यावसायिक पृष्ठभूमि और नेतृत्व ने उन्हें टाटा ट्रस्ट में रतन टाटा के उत्तराधिकारी के लिए एक स्वाभाविक पसंद बना दिया।
नोएल टाटा ने यूके में ससेक्स यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन की डिग्री प्राप्त की और बाद में एक प्रमुख ग्लोबल बिजनेस स्कूल INSEAD से अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी कार्यक्रम (IEP) पूरा किया। उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि, टाटा समूह के भीतर दशकों के अनुभव के साथ मिलकर, उन्हें भविष्य में ट्रस्टों का नेतृत्व करने के लिए कुशल बनाती है।
टाटा ट्रस्ट के दो उपाध्यक्ष हैं, टीवीएस के वेणु श्रीनिवासन और पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह, दोनों 2018 से अपनी भूमिकाओं में हैं। नोएल टाटा अब नेतृत्व की भूमिका निभाएंगे और संचालन करेंगे। दोनों उपाध्यक्ष बने रहेंगे।
अपनी राय बतायें