अगर एसबीआई की ऋण पुस्तिका का 0.8 से 0.9 प्रतिशत यानी 27000 करोड़ रुपया दाँव पर लगाया जा सकता है तो क्यों न यह राशि ग़रीबों को छोटे कारोबार के लिए आसान शर्तों पर दी जाए?
मुद्दा अडानी समूह को 'सरकारी संरक्षण' का तो इधर-उधर की बात क्यों?
- अर्थतंत्र
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- 5 Feb, 2023
अडानी समूह विवाद के मामले में अब क्या ख़बर की जगह बयान परोसे जा रहे हैं? जानिए, एसबीआई ने जो अडानी समूह को 27,000 करोड़ रुपये दिए हैं उसको लेकर क्यों सवाल उठ रहे हैं।

एलआईसी और एसबीआई में नागरिकों का पैसा सुरक्षित ही होना चाहिए। इसपर शंका भी नहीं होनी चाहिए थी। इसलिए ख़बर यह नहीं है, ना यह भ्रष्टाचार या गड़बड़ी न होने का अंतिम सबूत। मुद्दा पैसे सुरक्षित होना है भी नहीं। मुद्दा यह है कि शेयरों की क़ीमत कृत्रिम रूप से बढ़ाई गई, बढ़ने दी गई और उसके आधार पर कर्ज लिया या निवेश किया गया। और इससे भी शेयरों की कीमत बढ़ी, लोगों को भरोसा हुआ, निवेश आया और वे डूब गए। सरकार का यह कहना कि जो पैसे दिए गए वह सीमा में है - अपनी जगह सही है पर उसका अभी कोई मायने नहीं है - सवाल पात्रता का है। क्या ऐसी कंपनी में सरकारी निवेश होना चाहिए जो नियमों का पालन नहीं करती है, जिसके शेयर की कीमत कृत्रिम ढंग से बढ़ाई गई थी। क्या यह निवेश इसलिए नहीं है कि प्रोमोटर प्रधानमंत्री का करीबी है?