अगर एसबीआई की ऋण पुस्तिका का 0.8 से 0.9 प्रतिशत यानी 27000 करोड़ रुपया दाँव पर लगाया जा सकता है तो क्यों न यह राशि ग़रीबों को छोटे कारोबार के लिए आसान शर्तों पर दी जाए?