बाल विवाह के खिलाफ चलाए जा रहे असम सरकार के अभियान के खिलाफ राज्य में विरोध
के स्वर तेज होते जा रहे हैं। शनिवार की शाम तक इसमें 2500 से ज्यादा लोगों को
गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार किये लोगों के परिवार वालों का थानों के बाहर
जमावड़ा लगा हुआ है। इनको रोकने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज से लेकर आंसू गैस के गोले
तक दागने पड़ रहे हैं।
एक तरफ मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि अगली पीढ़ी को बेहतर करने के लिए एक पीढ़ी
को कस्ट उठाना पड़ेगा तो दूसरी विपक्षी दल हैं जो कह रहे हैं कि यह मुसलमानों को
परेशान करने के लिए किया जा रहा है। अगर सरकार को इसपर कुछ करना ही था तो अचानक से
इसकी याद क्यों आई, बाल विवाह विरोधी कानून तो पहले से ही बने हुए हैं उनको बेहतर ढंग
से लागू करते।
इस सबके बीच मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सर्मा कह रहे हैं कि सरकार का यह अभियान राज्य के अगले विधानसभा चुनाव 2026 तक चलेगा। अब सवाल उठता है कि एक गंभीर नीति का मसले को केवल चुनाव तक चलाने का क्या मतलब है?
असम के मोरीगांव
जिले में लहरीघाट पुलिस थाने के बाहर शनिवार सुबह करीब 11.30
बजे चीख-पुकार मची हुई है। जिसमें से ज्यादातर
महिलाएं हैं, पुलिसकर्मि उन्हें
पीछे धकेलने का प्रयास कर रहे हैं, इसके बावजूद इनमें से कुछ लोग अंदर घुस गईं। ये
सभी महिलाएं थाने में इस्लाम की रिश्तेदार थीं। इस्लाम को नाबालिग लड़सी से शादी करने के आरोप में शुक्रवार की रात उसके घर से
गिरफ्तार किया गया था।
थाने के गेट से थोड़ी
दूर एक और महिला तीन महीने के बच्चे को गोद में लिए अकेली खड़ी थी। उसके पति हनीफ
को शुक्रवार देर रात उनके घर से गिरफ्तार किया गया था। वह बताती हैं कि उन्होंने
डेढ़ साल पहले शादी की थी। अकेली खड़ी महिला
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहती है कि ‘मेरे पति खेतिहर मज़दूर के रूप में काम करते थे। मैंने शादी
करने के लिए घर छोड़ दिया था, अब मेरे पास कोईसहारा नहीं है। मेरे पास एक
रुपया भी नहीं है, मैं अपने बच्चे की देखभाल कैसे करूंगी। वह महिला का दावा है कि उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा है।
शनिवार की शाम 6 बजे तक, 2,258 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इसमें पिछले 24 घंटे में 214 नई गिरफ्तारियां भी शामिल हैं।
बाल विवाह के खिलाफ
असम सरकार के इस अभियान में लगातार हो रही गिरफ्तारियों पर राज्य भर में विरोध
बढ़ता जा रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सर्मा ने इस पर पीछे न हटने के संकेत देते हुए कहा कि उन्हें
ऐसे लोगों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है। एक जवान लड़की की शादी के बाद मुझे इसे बलात्कार कहना
होगा, क्या हमने उस पीड़ा के बारे में
सोचा है जिससे लड़की गुजरती है? भविष्य में लाखों लड़कियों को इस स्थिति से
बचाने के लिए एक पीढ़ी को नुकसान उठाना पड़ेगा। यहां सहानुभूति का कोई सवाल ही
नहीं है, असम में बाल विवाह को रोकना होगा और इसके खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी। मैंने
जिला कलेक्टरों से कहा है कि अगर किसी को वित्तीय परेशानी है क्योंकि उनके पति जेल
में हैं, तो सरकार इस पर
गौर कर सकती है, "उन्होंने कहा कि यह अभियान 2026 में अगले विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा।
धुबरी के तमरहाट पुलिस थाने के बाहर शनिवार को भीड़ बढ़ने और गुस्सा बढ़ने पर पुलिस को इसे रोकने के लिए प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे।
विपक्षी दलों ने
सरकार की कार्रवाई की आलोचना शुरू कर दी है। सरकार पर 'हजारों परिवारों में आग लगाने' का आरोप लगाते हुए असम तृणमूल कांग्रेस के
अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा, 'बाल विवाह के खिलाफ कानून है और जो आज या कल में नहीं बना है।
मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि इतने सालों तक सरकार क्यों सो रही थी? अब, आज अचानक, वह हजारों लोगों को गिरफ्तार कर रहे हैं। लोगों
को उस समय से पकड़ा जाना चाहिए जब वे कानून का उल्लंघन कर रहे थे। जिन लोगों की
शादी 1.5 या दो साल पहले
हुई थी, भले ही वे शादी के समय नाबालिग थे, लेकिन अब वे एक खुशहाल परिवार चला रहे हैं।
एआईयूडीएफ के
प्रवक्ता करीम उद्दीन बरभुयान ने भी इसी तरह का बयान जारी किया। "बाल विवाह
के खिलाफ कानून बहुत पहले पारित किया गया था और तथ्य यह है कि इसके बावजूद बड़ी
संख्या में ये विवाह हुए, यह इंगित करता है कि सरकार ने कानून का उपयोग नहीं किया और
जागरूकता पैदा करने और इसे रोकने के लिए पहल या कार्रवाई नहीं की। अब असम पुलिस
बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के अनपढ़
लोगों को परेशान करके ध्यान भटकाने की रणनीति का सहारा ले रही है।
सरकार के इस
अभियान को 'पीआर कवायद' करार देते हुए कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, 'असम में लोगों ने बाल विवाह पर नकेल कसने की
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सर्मा की पहल को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। ऐसा लगता
है कि पुलिस को उन मामलों की जांच करने का निर्देश दिया गया है, जो उचित जांच या
प्रक्रिया के पालन के बिना दशकों पुराने हैं। यह एक तमाशा है।
बाल संरक्षण पर
काम करने वाले एक गैर-लाभकारी संगठन उत्साह के संस्थापक मिगुएल दास क्विया ने कहा
कि इस तरह के अभियान की कभी भी कोई बहुत सुखद प्रक्रिया नहीं होगी। राज्य को जरूरी
पुनर्वास प्रयासों के साथ एक जरूरी उपाय के
साथ तैयार रहना होगा। इसके जरिए तत्कालिक मामलों को हल करना बहुत आसान होगा। लेकिन जब उनके बच्चे
होंगे और कमाने वाला सदस्य गिरफ्तार होगा तो संकट आएगा ही, यह निश्चित है।
हिंमत बिस्व सर्मा
पहले ही कह चुके हैं कि सरकार कमजोर महिलाओं के लिए ओरुनोदोई वित्तीय सहायता
कार्यक्रम जैसी कल्याणकारी योजनाओं के तहत आर्थिक सहाएता देने का काम करेगी। हम
पीड़ितों के लिए एक पुनर्वास कोष बनाएंगे। असम सरकार और केंद्र सरकार के पास
विभिन्न गरीबी उन्मूलन योजनाएं हैं। हम पीड़ितों को शिक्षा प्रणाली में वापस लाने
की कोशिश करेंगे। इनमें से कोई भी एकदम से कल के कल शुरू नहीं होंगी लेकिन हमारे
पास नया बजट होगा और हम हर चीज को संस्थागत रूप देंगे।
अपनी राय बतायें