कोरोना की मार से अब तक दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं उबरी नहीं हैं और अभी उनके सामने नई चुनौतियां आती जा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के मुताबिक हर देश की अपनी समस्या है और एक बात तो पक्की है कि हर ओर मंदी की छाया है।
इकोनॉमी पर मंडराता नया खतरा!
- अर्थतंत्र
- |
- |
- 7 Jul, 2022

रूस-यूक्रेन युद्ध, कोरोना की मार का असर कई देशों की अर्थव्यवस्था पर हुआ है। भारत में भी महंगाई बढ़ रही है और मंदी की आहट सुनाई दे रही है। क्या सरकार हालात को संभाल पाएगी?
भारत में अभी मंदी की आहट तो सुनाई दे रही है लेकिन वह इतनी तेज नहीं है कि उस पर ध्यान जाये। उसकी समस्या दूसरी है। उसका व्यापार घाटा बुरी तरह बढ़ रहा है। इस साल जून महीने में हमारा व्यापार घाटा बढ़कर 25.63 अरब डॉलर हो गया जो बजट के चालू खाते के घाटे को और बढ़ाएगा। लेकिन इसका बड़ा असर भारतीय मुद्रा पर पड़ेगा तथा यह और नीचे गिरती जायेगी।
कच्चा तेल भारत की दुखती रग है और देश को इस पर सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ओपेक देशों के मज़े आ गये हैं और उन्होंने इसका उत्पादन नियंत्रित कर दिया जिससे इसके भाव 112 डॉलर से भी ऊपर चले गये। यहां पर समस्या यह है कि भारत अपनी जरूरत का लगभग 80 फीसदी आयात करता है।