आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि रेपो रेट बढ़ाकर 4.40 करने का फ़ैसला 2 से 4 मई के बीच हुई एक अहम बैठक में लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह फ़ैसला बढ़ती महंगाई, दुनिया भर में चल रहे राजनीतिक तनाव, कच्चे तेल की क़ीमतों में बढ़ोतरी और वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की कमी की वजह से लिया गया है।
रेपो रेट बढ़ा यानी ईएमआई बढ़ेगी, जानिए और क्या होगा असर
- अर्थतंत्र
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- 4 May, 2022
रिजर्व बैंक ने चौंकाया है। इसने रेपो रेट 40 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ा दिया है। अब यह बढ़कर 4.40% हो गया है। तो इस बढ़ोतरी के मायने क्या हैं? इससे किसे क्या फायदा और क्या नुक़सान होगा?

यानी साफ़ तौर पर कहें तो आरबीआई का जोर इस पर है कि महंगाई बढ़ रही है और इसको काबू में करना है। आम तौर पर रेपो रेट बढ़ाने का मतलब होता है कि बैंकों को रिजर्व बैंक अब कर्ज ज़्यादा ब्याज पर देगा। यानी इसका एक मतलब यह भी होता है कि अर्थव्यवस्था में पैसे की कमी की जाए और इससे लोग ख़र्च कम करना शुरू करेंगे और महंगाई काबू में आएगी। सरकार ने भले ही विकास दर से समझौता करते हुए महंगाई को काबू में करने की तरकीब निकाली हो, लेकिन इसका सीधा असर भी लोगों पर पड़ेगा।