सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इन्फ़ोसिस पर आरएसएस के मुखपत्र 'पाँचजन्य' के हमले से उठा विवाद थम नहीं रहा है।
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने इन्फ़ोसिस का ज़ोरदार बचाव करते हुए सवाल उठाया है कि क्या इस आधार पर केंद्र सरकार को भी राष्ट्रविरोधी कहा जा सकता है क्योंकि कोरोना टीकाकरण में शुरू में उसका प्रदर्शन अच्छा नहीं था?
राजन 'एनडीटीवी' से बात कर रहे थे। जब उनसे इन्फ़ोसिस विवाद पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा,
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मुझे लगता है कि यह एकदम बेकार की बात है। क्या आप सरकार पर देशद्रोह का आरोप लगाएंगे क्योंकि टीकाकरण में इसने अच्छा काम नहीं किया? आप कहेंगे कि ग़लती हो गई और इन्सान से ग़लती होती है।
रघुराम राजन, पूर्व गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक
बता दें कि 'पाँचजन्य' के ताज़ा अंक में एक लेख छपा है, जिसमें पूछा गया है, "क्या राष्ट्र-विरोधी शक्ति इसके माध्यम से भारत के आर्थिक हितों को चोट पहुँचाने की कोशिश कर रही है?"
'पाँचजन्य' के लेख में कहा गया है कि इन्फ़ोसिस द्वारा विकसित जीएसटी और आयकर रिटर्न वेबसाइटों में गड़बड़ियों के कारण, "देश की अर्थव्यवस्था में करदाताओं के विश्वास को चोट लगी है। क्या इन्फ़ोसिस के माध्यम से राष्ट्र विरोधी ताकतें भारत के आर्थिक हितों को ठेस पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं?"
जीडीपी वृद्धि
केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर ने जीडीपी में वृद्धि के दावे पर भी सवाल उठाया। उन्होंने 'एनडीटीवी' से कहा कि कारखाना उत्पादन में हुई वृद्धि को बहुत गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि इसका आकलन बहुत ही निचले आधार पर किया गया था और जो वृद्धि दिख रही है, वह भी स्वाभाविक नहीं है।
उन्होंने कहा, "क्या यह वृद्धि पूरी अर्थव्यवस्था के लिए है या अर्थव्यवस्था के किसी एक क्षेत्र के लिए है?"
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औद्योगिक क्षेत्र में निश्चित तौर पर वृद्धि हुई है। लेकिन यह उच्च आय वर्ग के लोगों के इस्तेमाल में आने वाले उत्पादों के बनिस्बत मध्य व निम्न मध्य वर्ग के इस्तेमाल में आने वाले उत्पादों की है।
रघुराम राजन, पूर्व गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक
जीएसटी
इस अर्थशास्त्री ने जीएसटी वसूली बढ़ने और पूंजी बाज़ार के बेहतर काम करने की भी व्याख्या की। उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह है कि 'हम अपनी अर्थव्यवस्था को जबरन औपचारिक बना रहे हैं। हमने मझोले व छोटे उद्योगों की उस तरह मदद नहीं की, जितनी करनी चाहिए।'
उन्होंने कहा कि यह काम झटके में नहीं हो सकता है, इसके लिए हमें मझोले व छोटे उद्योगों को सहारा देकर उन्हें आगे लाना चाहिए।
रघुराम राजन ने कहा कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय करों के ज़रिए राज्यों के करों का बड़ा हिस्सा ले लिया। इसका नतीजा यह है कि राज्यों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है।
उन्होंने इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि 'भारत इतना बड़ा देश है कि इसका नियंत्रण केंद्र से और उस पर भी केंद्र के केंद्र से नहीं किया जा सकता है।'
उन्होंने कहा कि आर्थिक जगत से जुड़े फ़ैसले बहुत ही देर से लिए जाते हैं। बहुत ज़्यादा लोग केंद्र से दिशा निर्देश माँगते हैं और उन्हें वे मिलते नहीं है। नतीजा यह है कि सबकुछ मानो ठहर गया है।
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