पीएम केअर्स फंड एक बार सुर्खियों में है। सरकार की ओर से दिए ऑडिट स्टेटमेंट के अनुसार 27 मार्च से लेकर 31 मार्च तक यानी सिर्फ 5 दिन में इस कोष में 3,076 करोड़ रुपए जमा कराए गए। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इस पर पूछा है कि इन उदार दानदाताओं के नाम क्यों नहीं उजागर किए जा रहे हैं।
इन 5 दिनों में देश के लोगों ने स्वेच्छा से 3,075.85 करोड़ रुपए दिए। विदेशी दानदाताओं से 39.67 लाख रुपए मिले। लेकिन सरकार ने इन पीएम केअर्स फंड के दानदाताओं के नाम नहीं बताए हैं।
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ऑडिट स्टेटमेंट
ऑडिट स्टेटमेंट को पीएम केअर्स फंड की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। लेकिन इसमें नोट 1 से नोट 6 तक का हिस्सा नहीं है। इस हिस्से में दान देने वालों के बारे में विस्तृत जानकारी रहती है।यानी सरकार ने एक बार फिर पीएम केअर्स फंड के दानदाताओं के नाम नहीं बताए।
सरकार इसके पहले बहुत बार कह चुकी है कि वह यह जानकारी नहीं देगी क्योंकि यह कम्प्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल यानी सीएजी के तहत नहीं आता है। यह बड़ा मुद्दा रहा है और इस पर सरकार और विपक्ष व ग़ैरसरकारी कार्यकर्ताओं के बीच ठनी रहती है।
'दानदाताओं के नाम तो बताओ'
चिदंबरम ने तंज करते हुए सरकार से पूछा, 'क्यों? क्यों हर ग़ैरसरकारी संगठन और ट्रस्ट को एक निश्चित रकम के ऊपर की राशि पर दानदाताओं के नाम उजागर करना होता है? पीएम केअर्स फंड को इससे बाहर क्यों रखा गया है?'पिछले महीने एक फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 'वह पीएम केअर्स फंड से नैशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड में पैसे देने के लिए सरकार को आदेश नहीं दे सकती।' सर्वोच्च अदालत के कहने का मतलब था कि सरकार चाहे तो दे, चाहे तो न दे।
इसके पहले ही इस पर विवाद हो चुका है और लोगों ने यह सवाल पूछा था कि क्या पीएम केअर्स को विशेष छूट मिली हुई है? क्या वह वाकई कुछ ऐसा कर रहा है जिसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है?
आरटीआई को ठेंगा
'द वायर' की एक ख़बर के अनुसार, पर्यावरण कार्यकर्ता विक्रांत तोगड़ ने 21 अप्रैल 2020 को एक आरटीआई आवेदन दे कर पीएमओ से पीएम केअर्स से जुड़े कुछ सवाल पूछे थे। सरकार ने उसका जवाब तकनीकी आधार को ढाल बना कर नहीं दिया था।इसके पहले कम्प्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल यानी सीएजी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी से कहा था, ‘यह कोष लोगों और संगठन से मिले चंदों से चलता है, दातव्य संस्थाओं की ऑडिट करने का अधिकार सीएजी को नहीं है।’
कोरोना संकट के दौरान पैसे एकत्रित करने के लिए इस कोष का गठन किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मार्च को इसके गठन का ऐलान किया था। इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं। कैबिनेट के दूसरे मंत्री इसके सदस्य हैं।
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