इसकी पूरी आशंका है कि बहुत जल्द यानी आम चुनाव ख़त्म होते ही पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतें एक बार फिर बढ़ जाएँ। चुनाव के बीच क़ीमतें बढ़ने से सत्तारूढ़ दल को इसका ख़ामियाज़ा न भुगतना पड़े, इसके लिए सरकार पेट्रोलियम कंपनियों पर नुक़सान उठा कर भी फ़िलहाल दाम न बढ़ाने का दबाव बनाए हुए है, पर चुनाव ख़त्म होते ही वह इन कंपनियों को हरी झंडी दिखा देगी और इससे आम जनता की जेब कटेगी, यह लगभग तय माना जा रहा है। चुनाव का नतीजा चाहे जो हो और सरकार किसी की बने, क़ीमतों में इस बढ़ोतरी को टालना मुश्किल होगा।