मोदी सरकार के इस बजट को विपक्ष ने आम लोगों के लिए निराशा वाला क़रार दिया है। विपक्षी दलों ने कहा है कि इस बजट में कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा है कि सरकार ने इस बजट में सिर्फ़ खुद की तारीफ़ की है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अपना लगातार छठा बजट पेश किया है। यह अंतरिम बजट है क्योंकि कुछ महीने में ही लोकसभा चुनाव होने हैं। बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने सर्वांगीण विकास के दृष्टिकोण से काम किया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का फोकस गरीब, महिला, युवा और किसान हैं। इस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, "कोई भी बजट अगर विकास के लिए नहीं है और कोई भी विकास अगर जनता के लिए नहीं है तो वो व्यर्थ है। भाजपा सरकार ने जनविरोधी बजटों का एक दशक पूरा करके एक शर्मनाक रिकार्ड बनाया है, जो फिर कभी नहीं टूटेगा क्योंकि अब सकारात्मक सरकार आने का समय हो गया है। ये भाजपा का ‘विदाई बजट’ है।"
कोई भी बजट अगर विकास के लिए नहीं है और कोई भी विकास अगर जनता के लिए नहीं है तो वो व्यर्थ है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 1, 2024
भाजपा सरकार ने जनविरोधी बजटों का एक दशक पूरा करके एक शर्मनाक रिकार्ड बनाया है, जो फिर कभी नहीं टूटेगा क्योंकि अब सकारात्मक सरकार आने का समय हो गया है।
ये भाजपा का ‘विदाई बजट’ है।
शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने पीटीआई से कहा, 'मैं बस इतना कह सकती हूं कि इस ठंड के मौसम में वित्त मंत्री ने जो किया है, उसने इस देश के लोगों की उम्मीदों पर ठंडा पानी डाल दिया है।' उन्होंने कहा कि यदि वित्त मंत्री गरीब, महिला, युवा और किसान पर फोकस कर रही हैं तो फिर उनके लिए कुछ घोषणा क्यों नहीं है। शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत बादल ने कहा, 'बजट में कुछ भी नहीं था। एक बात की मैं सराहना करती हूं कि चूंकि यह चुनाव पूर्व बजट है, इसलिए लगा था कि मुफ्त सुविधाओं की घोषणा की जाएगी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। हालाँकि उन्होंने अपनी पीठ थपथपाई।'
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एएनआई से कहा, 'यह बजट के रिकॉर्ड में सबसे छोटे भाषणों में से एक था। इससे बहुत कुछ नहीं निकला। हमेशा की तरह बहुत सारी बयानबाजी, कार्यान्वयन पर बहुत कम ठोस बातें। उन्होंने यह स्वीकार किए बिना विदेशी निवेश के बारे में बात की कि निवेश में काफी कमी आई है। उन्होंने कई चीजों के बारे में बात की जो अस्पष्ट भाषा में हैं जैसे 'विश्वास' और 'आशा' इत्यादि।' यह अर्थव्यवस्था की विशिष्ट समस्याओं से निपटने की इच्छा के संदर्भ में एक बहुत ही निराशाजनक भाषण होने जा रहा है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस सांसद फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'वास्तविक बजट जुलाई में आएगा। हमें उम्मीद है कि लोगों को फायदा होगा, पर्यटन बढ़ेगा, उद्योग भी बढ़ेंगे और देश प्रगति करेगा।'
अंतरिम बजट पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, "यह एक 'वोट-ऑन-अकाउंट' है जिसका एकमात्र उद्देश्य सरकार को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए वित्तीय स्थिति में बनाए रखना है। चिंता की बात यह है कि 18 लाख करोड़ रुपये का बजट घाटा है। इसका मतलब है कि सरकार अपने खर्च के लिए उधार ले रही है। अगले साल यह संख्या और बढ़ने वाली है।"
डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने कहा, 'वित्त मंत्री ने प्रशंसा करने में बहुत समय लगाया लेकिन डिलीवरी शून्य थी। वे पिछली सरकार पर एक श्वेत पत्र पेश करने जा रहे हैं। पिछले दस वर्षों में बहुत कुछ नहीं हुआ है। देश के लोग पहले से ही निराश हैं। इसके अलावा, आपको पता है कि प्रदर्शन प्रोत्साहन ब्रिज कंपनियों को दिया जाता है, और योग्य लोगों को नहीं दिया जाता है। इस बजट से लोगों को खारिज कर दिया गया।'
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