शुक्रवार को जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन आर्थिक मंदी से निपटने के 33 उपायों की घोषणा कर रही थीं, तब उन्होंने कई बार मीडिया से उसका ‘प्रचार’ करने में सहयोग करने की माँग की। उन्होंने उस समय पत्रकारों से सवाल भी लिए और ख़ुशी-ख़ुशी उसके जबाब भी दिए। पर लगता है कि उनके सहयोग की अपील का असर पहले से था क्योंकि किसी भी पत्रकार ने यह नहीं पूछा कि अभी तो बजट पेश हुए पचास दिन भी नहीं हुए हैं, तो तब क्या मंदी नहीं दिख रही थी।
निर्मला जी, इन 33 मंत्रों से नहीं भागेगा मंदी का भूत
- अर्थतंत्र
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- 25 Aug, 2019

आख़िर पिछले पाँच साल से निरंतर गिरे निर्यात को ठीक करने के लिए क्या क़दम उठाए गए हैं, ग्रामीण माँग में आती गिरावट को कैसे रोकेंगे, बेरोजगारी का सवाल क्या वित्त मंत्री की चिंता से बाहर का है, कपड़ा उद्योग ही नहीं कृषि आधारित हर व्यवसाय समर्थन मूल्य वाली व्यवस्था से कैसे परेशान है, रुपया क्यों गिरता जा रहा है, दुनिया के बाज़ार में हम अपने कृषि उत्पाद को क्यों नहीं बेच पा रहे हैं, चीन-अमेरिकी टकराव में हमारा क्या होगा जैसे सवाल हमारे सामने बने हुए हैं।