मुकेश अंबानी जल्दी में हैं। देश ही नहीं, दुनिया के सबसे अमीर इंसानों में शुमार मुकेश अंबानी चाहते हैं कि रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की कमान अब जल्दी से जल्दी अगली पीढ़ी के हाथों में सौंप दी जाए।
यह पहला मौका है जब मुकेश अंबानी ने कारोबारी विरासत या अपने सक्सेशन प्लान पर कोई बात कही है। लेकिन जितना उन्होंने कहा है वह समझने वालों के लिए काफी है।
मुकेश की उम्र अभी महज 64 साल है। लेकिन ऐसा लगता है कि वे कारोबार और परिवार के बारे में वे ग़लतियाँ नहीं दोहराना चाहते जो उनके पिता धीरूभाई अंबानी से हुईं।
धीरूभाई ने छोटे से कारोबार से शुरू करके रिलायंस को देश की सबसे बड़ी कंपनी बनाया। लेकिन उनके निधन के बाद दोनों बेटों में कारोबार के मालिकाने को लेकर जो विवाद हुआ, वह कारोबारी संपत्ति के झगड़े की एक मिसाल है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज में नेतृत्व परिवर्तन
28 दिसंबर को धीरूभाई की जयंती का दिन रिलायंस समूह में फैमिली डे या परिवार दिवस के रूप में मनाया जाता है। पिछले दो साल से यह ऑनलाइन ही हो रहा है।
इसी आयोजन में मुकेश अंबानी ने कंपनी के कारोबार और भविष्य पर बात करते हुए यह साफ साफ कह दिया कि रिलायंस में अब एक बहुत बड़ा बदलाव चल रहा है, जिसमें समूह का नेतृत्व उनकी पीढ़ी के बुजुर्गों के हाथों से निकलकर नई पीढ़ी के नौजवान नेतृत्व के हाथों में जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि यह काम और तेजी से हो। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा,
“
सभी बुजुर्गों को -जिनमें मैं भी शामिल हूँ- अब नई पीढ़ी के बेहद हुनरमंद, अत्यंत समर्पित और अविश्वसनीय क्षमता वाले नौजवान नेतृत्व को स्वीकार कर लेना चाहिए।
मुकेश अंबानी, अध्यक्ष, रिलायंस इंडस्ट्रीज
मुकेश अंबानी ने कहा कि अब रिलायंस में संगठन के तौर पर एक ऐसी संस्कृति की ज़रूरत है जो किसी के होने या न होने के बावजूद चलती रहे। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस बात में कोई शक नहीं है कि आकाश, इशा और अनंत कंपनी को और नई ऊँचाइयों तक ले जाएंगे।
मुकेश अंबानी के इस संदेश में बहुत कुछ पढ़ा जा सकता है। हालांकि लोग यह मान रहे हैं कि मुकेश रिटायर होने के संकेत दे रहे हैं।
जिसने भी मुकेश अंबानी को थोड़ा भी समझा है उसे यह पता होगा कि वे रिटायर होने के बारे में सोच भी नहीं सकते। तो फिर यह बयान क्यों?
वसीयत करेंगे?
इसकी सबसे बड़ी वजह तो उनके परिवार के भीतर ही है। जिस अंदाज में धीरूभाई की मौत के कुछ ही साल में समूह का बँटवारा हुआ तब भी यह सवाल बड़े पैमाने पर उठा था कि इतनी दूर की सोचनेवाले धीरूभाई ने यह क्यों नहीं सोचा कि वो अपनी वसीयत करें या उनके न रहने पर कारोबार और परिवार का रिश्ता साफ करने का इंतजाम करें।
साफ है कि अनिल अंबानी के साथ कारोबार के बँटवारे के वक्त और उसके बाद भी मुकेश के दिमाग में यह बात रही होगी कि किसी अनहोनी की स्थिति में फिर ऐसी नौबत न आए।
धीरूभाई का निधन जुलाई 2002 में लगभग सत्तर साल की उम्र में हुआ था। इसके लगभग दो साल बाद ही यह बात आम हो गई कि संपत्ति को लेकर उनके बेटों मुकेश और अनिल के बीच विवाद चल रहा है। लंबी मशक्कत के बाद संपत्ति का बंटवारा हुआ। हालांकि उसके बाद अनिल अंबानी के हिस्से में गई कंपनियां धीरे धीरे बर्बादी की तरफ ही बढ़ती गईं। लेकिन मुकेश के मन में यह चिंता तो बनी ही रही कि कारोबार का भविष्य कैसे सुरक्षित किया जाए।
रिलायंस में भविष्य की तैयारी?
पिछले कुछ समय से यह चर्चाएं बाज़ार में गर्म थीं कि रिलायंस समूह में भविष्य की तैयारी चल रही है। पिछली सालाना आम सभा में हुए एलानों को भी इसी का हिस्सा माना गया जिसमें कंपनी के कारोबार को चार अलग अलग हिस्सों में बाँटकर दिखाया गया।
चर्चा यह भी है कि अब समूह एक होल्डिंग कंपनी वाला ढाँचा अपना सकता है, जिसमें कारोबार अलग अलग कंपनियों के बीच बँट जाएगा और उन सबका मालिकाना एक होल्डिंग कंपनी के पास होगा जिसमें परिवार के सदस्यों की हिस्सेदारी और उनका नियंत्रण बना रहेगा।
प्रोफ़ेशनल मैनेजर
इस रास्ते से कारोबार चलाने का काम प्रोफेशनल मैनेजरों को सौंपा जा सकता है और परिवार की पकड़ भी बरक़रार रहती है।
मुकेश अंबानी के बयान में एक और मार्के की बात यह है कि उन्होंने अपने बेटे आकाश और अनंत के साथ ही बेटी इशा के नाम को भी पूरी तवज्जो दी है। इसका अर्थ साफ है कि वे बेटी और बेटे में भेद न करके तीनों को अपने वारिस की तरह देख रहे हैं।
दूसरी बात उन्होंने अपनी पीढ़ी के लीडरों को जो संदेश दिया है उसका एक साफ मतलब यह भी हो सकता है कि अब तक रिलायंस समूह में परिवार के बाहर के जो लोग मठाधीश की तरह देखे जाते थे शायद उनके दिन अब लदनेवाले हैं। उनकी जगह अब बच्चों के विश्वासपात्र कुछ नए लोग सामने आते दिखाई पड़ सकते हैं।
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