क्या आपको पता है कि दुनिया में घरेलू गैस सबसे महंगी कहाँ मिल रही है? यदि आप एक अनुमान के आधार पर भी भारत कह दें तो आप ग़लत नहीं होंगे! दरअसल, मुद्रा की क्रय शक्ति के आधार पर तुलना करें तो भारत में घरेलू गैस यानी एलपीजी सबसे महंगी है।
लेकिन यदि आपने कोई ऐसी रिपोर्ट देखी है जिसमें सीधे-सीधे रुपये और डॉलर के एक्सचेंज रेट के आधार पर कुछ और दावा किया जा रहा हो तो वह आपको सही तसवीर नहीं पेश कर रहा है। मिसाल के तौर पर इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अमेरिका में पिछले महीने एक किलो आलू औसत रूप से 1.94 डॉलर यानी क़रीब डेढ़ सौ रुपये का था जबकि भारत में एक किलो आलू क़रीब 20 रुपये का था। रुपये और डॉलर के विनिमय दर पर तो आलू अमेरिका में भारत की अपेक्षा बहुत महंगा दिख सकता है, लेकिन वास्तविकता में ऐसा नहीं है। यह अंतर मूल रूप से मुद्राओं की क्रय शक्ति पर निर्भर करता है।
दो देशों के बीच क़ीमतों की तुलना दो तरीक़े से की जा सकती है। एक तो है नॉमिनल एक्सचेंज और दूसरा है क्रय शक्ति का फॉर्मूला। नॉमिनल एक्सचेंज का तरीक़ा सामान के महंगा होने की सही तसवीर नहीं दे सकता क्योंकि हर देश की मुद्रा की क्रय शक्ति अलग होती है।
नॉमिनल एक्सचेंज वह दर है जिस पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुद्राओं का क़ारोबार होता है। मिसाल के लिए एक डॉलर के बराबर क़रीब 75.84 रुपये। मुद्रा के विनिमय के लिए तो यह ठीक है, लेकिन सामान की क़ीमतों की तुलना के लिए नहीं। ऐसा इसलिए कि इसमें वह तथ्य छुप जाता है कि अलग-अलग देशों में मुद्राओं की अलग-अलग क्रय शक्तियां होती हैं। मिसाल के तौर पर अमेरिका और भारत में आलू की क़ीमतों से समझा जा सकता है।
इसके साथ ही सभी देशों में आय के स्तर अलग हैं। यदि पेट्रोल से इसको मापा जाए तो एक लीटर पेट्रोल एक औसत पश्चिमी देश के व्यक्ति के लिए दैनिक आय का एक छोटा सा अंश मात्र है जबकि एक औसत भारतीय के लिए दैनिक आय का एक चौथाई है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, बुरुंडी में एक लीटर पेट्रोल का दाम तो एक व्यक्ति की औसत दैनिक आय से अधिक है।
इसका मतलब साफ़ है कि अलग-अलग देशों में मुद्राओं की क्रय शक्ति अलग है। इसको मापने के लिए परचेजिंग पावर पैरिटी यानी क्रय शक्ति समता का पैमाना सटीक है। पीपीपी को मापने के लिए अंतरराष्ट्रीय डॉलर का तरीक़ा निकाला गया है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने आईएमएफ के हवाले से रिपोर्ट दी है कि 2022 में एक अंतरराष्ट्रीय डॉलर औसत रूप से 22.6 रुपये के बराबर है। जबकि एक अमेरिकी डॉलर 75.84 रुपये के बराबर है।
दुनिया भर के देशों के बीच सामान के दामों की तुलना करने के लिए पीपीपी यानी क्रय शक्ति का फॉर्मूला ही सबसे उपयुक्त माना जाता है।
अब यदि इसी क्रय शक्ति यानी पीपीपी फॉर्मूले के आधार पर एलपीजी की क़ीमतों की तुलना की जाए तो भारत में 3.5 अंतरराष्ट्रीय डॉलर यानी क़रीब 79 रुपये प्रति लीटर एलपीजी गैस मिलती है। यह दाम दुनिया में सबसे ज़्यादा है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार स्विट्ज़रलैंड, फ्रांस, कनाडा और यूके में एलपीजी की क़ीमत लगभग एक अंतरराष्ट्रीय डॉलर प्रति लीटर है। इस आधार पर सबसे महंगी एलपीजी गैस के मामले में भारत के बाद तुर्की, फिजी, मोल्दोवा और यूक्रेन का स्थान है।
पेट्रोल में तीसरे स्थान पर
पेट्रोल की क़ीमत को अंतरराष्ट्रीय डॉलर में बदलने पर भारत में पेट्रोल की क़ीमत 5.2 अंतरराष्ट्रीय डॉलर प्रति लीटर है। सूडान में इसका दाम 8 अंतरराष्ट्रीय डॉलर और लाओस में 5.6 अंतरराष्ट्रीय डॉलर है। यानी भारत महंगे पेट्रोल के मामले में इन दोनों देशों के बाद तीसरे स्थान पर है। डीजल की क़ीमत भारत में 4.6 अंतरराष्ट्रीय डॉलर है और महंगाई के मामले में दुनिया की आठवीं सबसे ऊंची क़ीमत है।
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