भारतीय रिज़र्व बैंक ने चेतावनी दी है कि कोरोना की वजह से हुए
लॉकडाउन का असर देश की अर्थव्यवस्था पर सीधे रूप से पड़ेगा। इसके अलावा कोरोना की वजह से अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जो बुरी स्थिति होगी, उसका असर भी भारत पर पड़ेगा।
गुरुवार को जारी मुद्रा रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक ने कहा है कि हालांकि कोरोना के रोकथाम की भरपूर कोेशिश की जा रही है, लॉकडाउन का प्रत्यक्ष असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
लॉकडाउन का असर
गुरुवार को जारी मुद्रा रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक ने कहा है कि हालांकि कोरोना के रोकथाम की भरपूर कोेशिश की जा रही है, लॉकडाउन का प्रत्यक्ष असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
रिज़र्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2020-21 की चौथी छमाही में खुदरा महंगाई 2.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है।
इसने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन
कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने कहा है कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2 प्रतिशत से भी नीचे रह सकती है।
अंतरराष्ट्रीय असर
रिज़र्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने की बात भी अपनी मुद्रा रिपोर्ट में कही है। इसने कहा है, विश्व व्यापार और विकास में मंदी का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। यह लॉकडाउन के असर के बाद होगा।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मंदी 2018-19 की पहली तिमाही से ही शुरू हो गई थी और वह 2019-20 की पहली छमाही तक चलती रही।
रिज़र्व बैंक ने कहा, महंगाई पर कोरोना का असर साफ़ नहीं है। खाने पीने की चीजों की कीमतें गिर सकती हैं, पर दूसरी चीजों की कीमतों के बढ़ने से महंगाई पर इसका असर कम हो जाएगा।
महंगाई सूचकांक
यह अनुमान लगाया जा रहा है कि उपभोक्ता वस्तु सूचकांक चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के 4.8 प्रतिशत से गिर कर दूसरी तिमाही में 4.4 प्रतिशत पर पहुँच जाएगा।केंद्रीय बैंक की यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब अमेरिकी निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर अगले साल यानी 2021 में घट कर 1.6 प्रतिशत पर आ जाएगी। ऐसा हुआ तो आज़ादी के बाद यह अब तक की न्यूनतम विकास दर होगी।
क्या कहना अंतरराष्ट्रीय एजंसियों का?
दुनिया की मशहूर रेटिंग एजेंसी फ़िच ने लिखा है कि भारत की विकास दर यानी जीडीपी आर्थिक वर्ष 2020-21 में 2% ही रह जायेगी। ग़ौर करने वाली बात यह है कि 15 दिन पहले ही फ़िच का आकलन था कि इस साल भारत की विकास दर 5.1% होगी। इस अमेरिकी कंपनी ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा, 'भारत में 2021 में आर्थिक मंदी ज़्यादा गहरी होगी, जीडीपी वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत पर आ जाएगी जो 1970, 1980 और 2009 में आई मंदी के दौरान हुई वृद्धि से भी कम होगी।'
फ़िच के पहले स्टैंडर्ड एंड पूअर ने कहा था कि भारत की विकास दर 3.5% तक गिर सकती है। इसी तरह मूडीज ने भी 2.5% का आँकड़ा बताया था। फ़िच का आँकड़ा इन दोनों से ही कम है।
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