देश की आर्थिक बदहाली पर अब तक देशी-विदेशी एजेन्सियाँ और विपक्षी पार्टियाँ चिंता जताया करती थीं, सरकार उन्हें खारिज कर देती थी। प्रधानमंत्री ने तो अर्थव्यवस्था पर चिंता जताने वालों को पेशेवर निराशावादी (प्रोफेशनल पेसिमिस्ट) तक क़रार दिया है। पर अब सत्तारूढ़ दल के सहयोगी और सरकार में शामिल दलों के लोग भी खुले आम इस पर बोलने लगे हैं। बीजेपी के सहयोगी दलों का असंतोष इतना बढ़ चुका है कि उन्होंने इस मुद्दे पर अर्थशास्त्रियों, विशेषज्ञों और इन दलों के शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाने की माँग कर दी है।