सूचना प्रौद्योगिकी की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक इनफ़ोसिस ने खाते में ग़लत तरीके से छेड़छाड़ से जुड़ी अनाम आदमी की शिकायत मिलने के बाद मामले की जाँच शुरू कर दी है। जाँच निष्पक्ष और स्वतंत्र बनी रहे, इसके लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी और मुख्य वित्त अधिकारी ने इस मामले से ख़ुद को अलग कर लिया है। इनफ़ोसिस के अध्यक्ष नंदन निलेकणि ने यह घोषणा की है। उन्होंने बंबई स्टॉक एक्सचेंज को लिखी एक चिट्ठी में यह जानकारी दी है।
इनफ़ोसिस को कॉरपोरेट गवर्नेंस में ऊँचे आदर्शों का पालन करने और पेशेवर तरीके से व्यवसाय करने के लिए जानी जाती है। ऐसे में इस पर 'अनैतिक तरीके से काम करने' का आरोप लगना बेहद गंभीर मामला है।
'एनडीटीवी प्रॉफ़िट' की ख़बर के मुताबिक़, निलेकणि ने कहा :
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कंपनी का बोर्ड कॉरपोरेट शासन के सर्वोच्च मानकों का पालन करने के प्रति पूरी तरह समर्पित है ताकि मामले से जुड़े सभी पक्षों के हितों की रक्षा की जा सके
नंदन निलेकणि, अध्यक्ष, इनफ़ोसिस
निलेकणि ने यह भी कहा कि कंपनी ने आंतरिक ऑडिट के क्षेत्र की अंतरराष्ट्रीय कंपनी अर्नस्ट एंड यंग से संपर्क किया है। इसके अलावा कॉरपोरेट क़ानून का काम देखने वाली कंपनी शार्दूल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी को भी इस काम के लिए रखा गया है।
क्या है मामला?
कंपनी के अंदर के किसी आदमी ने अपनी पहचान गोपनीय रखते हुए एक चिट्ठी लिख कर मुख्य कार्यकारी अधिकारी सलिल पारेख पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पारेख ने जानबूझ कर अकाउंटिंग प्रणाली के साथ छेड़छाड़ की ताकि कारोबार और मुनाफ़े को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जा सके।
उस व्हिसलब्लोअर ने अंग्रेज़ी में लिखे 'डिस्टर्बिंग अनएथिकल प्रैक्टिसेज़' नाम से एक मेमो में कहा कि पारेख ने कंपनी का मुनाफ़ा वास्तविक से अधिक दिखाने के लिए 'अनैतिक तौर तरीकों' का सहारा लिया।
यह मेमो 20 सितंबर को लिखा गया था, जिसे अंग्रेज़ी अख़बार 'डेकन हेरल्ड' ने छापा है। इसके पहले भी इसी तरह की शिकायत की गई थी। उस वजह से ही एशिया की दूसरी सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी के तत्कालीन अध्यक्ष विशाल सिक्का को पद से हटना पड़ा था। इस साल कंपनी ने ऑटोमेशन पर ध्यान दिया और इसकी बाज़ार कीमत 15 प्रतिशत बढ़ गई।
इस मामले के सामने आने के बाद बंबई स्टॉक एक्सचेंज में इनफ़ोसिस के शेयरों की कीमतें बुरी तरह गिरीं। मंगलवार को कारोबार के शुरुआत में ही इनफ़ोसिस शेयर 16 प्रतिशत नीचे गिरा।
यह ख़बर सिर्फ़ इनफ़ोसिस ही नहीं, पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बुरी है। इसकी वजह यह है कि इनफ़ोसिस सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र मे सेवा देने वाली एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। यूरोप और अमेरिका में इसका कारोबार फैला हुआ है। अमेरिका में पहले से ही आउटसोर्सिंग के ख़िलाफ़ माहौल बनाया जा रहा है। जैसे जैसे राष्ट्रपति चुनाव नज़दीक आता जाएगा, यह बढ़ता जाएगा। ऐसे में किसी भारतीय कंपनी की बदनामी होने से पूरे भारत ब्रांड की छवि ख़राब होगी। इससे भारतीय कंपनियों को कई तरह की दिक्क़तों का सामना करना पड़ सकता है।
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