हिंदू नेता कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में पुलिस ने कहा है कि इस घटना में किसी आतंकवादी संगठन का हाथ होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। जबकि तिवारी की हत्या के अगले दिन जब पुलिस ने मामले का ख़ुलासा किया था तो डीजीपी ओपी सिंह ने इस घटना का किसी भी आतंकवादी संगठन से कोई भी संबंध नहीं होने की बात कही थी। तब डीजीपी ने कहा था कि कमलेश तिवारी के 2015 में पैगंबर साहब को लेकर दिये गये एक बयान के बाद ये लोग भड़क गये थे और इसीलिए इन्होंने हत्या को अंजाम दिया था। हत्यारों ने तिवारी को जिस बर्बरता के साथ मारा था, उससे यह ज़रूर लग रहा था कि हत्या के पीछे कोई बड़ा कारण ज़रूर रहा होगा। तिवारी की गला रेतकर हत्या की गई थी और उनके शरीर पर चाकू के कई घाव थे और उन्हें गोली भी मारी गई थी।