आज खुदरा महँगाई का आँकड़ा सामने आनेवाला है। यह बताएगा कि मई के महीने में महंगाई बढ़ने की रफ्तार क्या रही। जानकारों को उम्मीद है कि इसमें कुछ नर्मी दिख सकती है। लेकिन उन्हीं जानकारों का यह भी कहना है कि नर्मी की वजह सिर्फ बेस एफेक्ट होगा, यानी पहले से चढ़े हुए दामों के बढ़ने की रफ्तार कुछ कम होती दिख सकती है। इसका मतलब यह कतई नहीं है कि महंगाई से राहत मिलने की कोई उम्मीद है। बस दिल बहलाने को एक आंकड़ा मिल सकता है। अप्रैल के बाज़ार भाव पर खुदरा महंगाई का सूचकांक यानी सीपीआई 7.79 प्रतिशत पर पहुंच चुका था जो पिछले आठ साल का एक नया रिकॉर्ड है। इसमें भी चिंताजनक बात यह है कि शहरों के मुक़ाबले गांवों में महंगाई का असर ज़्यादा दिखाई दिया। ग्रामीण महंगाई का आंकड़ा तो 8.33 प्रतिशत पर पहुंच गया जबकि शहरों के लिए यही आंकड़ा 7.09 प्रतिशत पर था। इससे पहले महंगाई बढ़ने की दर इससे ऊपर मई 2014 में पहुंची थी जब यह 8.33 प्रतिशत पर थी।