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बाबूलाल मरांडी
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आर्थिक मोर्चे पर ख़ुशख़बरी है! लगातार दो तिमाही में सिकुड़ने के बाद अब तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर सकारात्मक हो गई है। सरकार की ओर से जारी अक्टूबर-दिसंबर में यह विकास दर 0.4 फ़ीसदी रही है। इससे पहले दो तिमाही में यह दर नकारात्मक रही थी। इसका मतलब है कि अब देश की अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी से बाहर निकल रही है।
हालाँकि तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी सकारात्मक हो गई है लेकिन इस चालू पूरे वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था के -8 फ़ीसदी रहने का अनुमान है। यानी यह पूरे वित्तीय वर्ष में सिकुड़ेगी ही।
कुल मिलाकार अब जो स्थिति दिख रही है उसमें यह साफ़ है कि कोरोना लॉकडाउन से गर्त में गई अर्थव्यवस्था अब पटरी पर लौट रही है। इस हिसाब से आगे अब इसके और भी ज़्यादा सुधरने की उम्मीद है।
कोरोना लॉकडाउन के बाद अब लगातार ऐसी रिपोर्ट और आँकड़े सामने आ रहे हैं कि भारत में रिकवरी की रफ़्तार उम्मीद से तेज़ है।
भारत सरकार की न मानें तब भी देश और दुनिया की तमाम संस्थाओं की गवाही मौजूद है। रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर यानी एसएंडपी का कहना है कि अगले वित्त वर्ष में भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा।
जापान की मशहूर ब्रोकरेज नोमुरा का तो अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में गिरावट सिर्फ़ 6.7% ही रहेगी और अगले साल यानी 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था में 13.5% की बढ़त दर्ज होगी। यह आँकड़ा भारत के रिज़र्व बैंक के अनुमान से भी बेहतर है जिसे इस साल जीडीपी में 7.7% की गिरावट और अगले साल 10.5% बढ़त होने की उम्मीद है।
ये रिपोर्टें इसलिए भी बड़ी खुशखबरी की कहानी कहती हैं क्योंकि इससे पहले जो रिपोर्ट आई थी उसने आर्थिक मंदी पर आधिकारिक मुहर लगा दी थी। अर्थशास्त्र के हिसाब से लगातार दो तिमाही तक जीडीपी बढ़ने के बजाय घटती दिखे तभी माना जाता है कि कोई देश मंदी की पकड़ में है।
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