पाँच महीने पहले बैसाखी के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के श्री अन्नपूर्णा धाम ट्रस्ट के हॉस्टल का उद्घाटन किया था। दिल्ली से किए गए इस वर्चुअल उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि दुनिया इस समय खाद्यान्न संकट से गुजर रही है। मैंने इस बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति से बात की और उन्हें कहा कि डब्ल्यूटीओ इजाजत दे तो भारत कल से ही पूरी दुनिया की खाद्यान्न ज़रूरत को पूरा कर सकता है।

भारत में क्या खाद्यान्न संकट आने वाला है? पहले गेहूँ के निर्यात पर प्रतिबंध और अब टुकड़ा चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के क्या मायने हैं?
पूरी दुनिया का पेट भरने के इस दावे के ठीक एक महीने बाद ही सरकार ने भारत से गेंहू के निर्यात पर रोक लगा दी। किसानों को फ़सल की अधिक क़ीमत मिलने के दावे के साथ तीन कृषि कानून लाने वाली सरकार ने निर्यात पर उस समय रोक लगाई जब विश्व बाजार में उन्हें ज्यादा कीमत मिलने की संभावना दिखाई देने लगी थी। पांच महीने बाद उस फैसले को याद करने की वजह यह है कि अब सरकार ने टुकड़ा चावल के निर्यात पर भी पूरी तरह रोक लगा दी है। हालाँकि इसके पहले सरकार चावल और धान के निर्यात को हतोत्साहित करने के लिए उस पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगा चुकी है।