महंगाई तो बढ़ी है! भले ही कोई कहे कि नींबू नहीं खाता। चीनी के दाम बढ़ने पर यदि कोई कहे कि वह चीनी नहीं खाता है तो चाय तो पीता होगा! कटिंग चाय का दाम भी बढ़ गया। दिल्ली में 10 रुपये वाली चाय अब 12 की हो गई। दिल्ली में छोले-कुलचे 35 वाले 40 के हो गए। यदि इससे अहसास न हो तो हरी सब्जियाँ, खाने का तेल ही कोई ख़रीद कर देख ले। यदि ये क़ीमतें भी न जँचें तो सरकार की तकनीकी भाषा वाली मुद्रास्फीति यानी महंगाई दर ही देख लें। ख़ुदरा महंगाई मार्च में 16 माह के रिकॉर्ड 6.95 फ़ीसदी पर और थोक महंगाई 4 माह के रिकॉर्ड पर 14.55 फ़ीसदी हो चुकी है।
खाने की चीजों की महंगाई ने आम लोगों को बेहाल कर दिया!
- अर्थतंत्र
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- 27 Apr, 2022
'महंगाई डायन खाए जात है...' का जो नारा 2014 से पहले कांग्रेस के पीछे पड़ा था वह अब बीजेपी के पीछे पड़ा है। भले विपक्षी दल उस तरह से मुद्दे न उठाएँ, लेकिन क्या आम लोगों के कराहने का डर सरकार को बिल्कुल नहीं होगा?

वैसे तो महंगाई किसी भी चीज की हो हर आदमी पर उसका असर पड़ता है। कहा जाता है कि महंगाई की मार सबसे ज़्यादा ग़रीबों और मध्य वर्ग पर ही पड़ता है। और चीजों की महंगाई का सीधे असर भले न हर कोई पर पड़े लेकिन खाद्य महंगाई वह है जिसका असर सीधे हर किसी पर पड़ता है।