देश के अस्सी करोड़ ग़रीब अगर चाहें तो इस चुनाव-पूर्व घोषणा को प्रधानमंत्री की तरफ़ से दीपावली के तोहफ़े के तौर पर भी स्वीकार कर सकते हैं कि आने वाले पाँच और सालों तक उन्हें मुफ़्त के अनाज की सुविधा प्राप्त होती रहेगी। सरकार को इस वक्त चिंता सिर्फ़ दो ही बातों की सबसे ज़्यादा है ! पहली ग़रीबों की और दूसरी हिंदुत्व की। चिंता को यूँ भी समझा जा सकता है कि हिंदुत्व की रक्षा के लिए ग़रीबों को बचाए रखना ज़रूरी है !
सरकार की परेशानी क्या क्या है, वो कैसे जूझती है। हम आप क्या जानें। लेकिन लेखक राकेश अचल सरकार की परेशानी कुछ-कुछ समझ रहे हैं। इसे पढ़कर आप भी उनसे समझ सकते हैं।
'महंगाई डायन खाए जात है...' का जो नारा 2014 से पहले कांग्रेस के पीछे पड़ा था वह अब बीजेपी के पीछे पड़ा है। भले विपक्षी दल उस तरह से मुद्दे न उठाएँ, लेकिन क्या आम लोगों के कराहने का डर सरकार को बिल्कुल नहीं होगा?