सत्तारूढ़ दल जानता है कि सक्षम और अमीर लोग तो भारत देश की नागरिकता त्याग कर अन्य मुल्कों में बसने जा सकते हैं पर जिस ग़रीब आबादी को सरकार उसकी ज़रूरत का अनाज स्वयं ख़रीद पाने में सक्षम नहीं बना पाई उसे तो यहीं रहना पड़ेगा। वैसे भी 142 करोड़ से ज़्यादा की आबादी वाले देश में पासपोर्ट धारकों की संख्या दस करोड़ से भी कम है। अतः भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ घोषित करने के लिए ग़रीब आबादी पर निर्भरता हमेशा क़ायम रहने वाली है। ग़रीबी को बनाए रखना सत्ताओं के लिए चुनावी कारणों से भी ज़रूरी हो जाता है।
मुफ्त का अनाज और चुनावी रेवड़ियां सिर्फ मुंह बंद करने के लिए हैं?
- राजनीति
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- 29 Mar, 2025
देश के अस्सी करोड़ ग़रीब अगर चाहें तो इस चुनाव-पूर्व घोषणा को प्रधानमंत्री की तरफ़ से दीपावली के तोहफ़े के तौर पर भी स्वीकार कर सकते हैं कि आने वाले पाँच और सालों तक उन्हें मुफ़्त के अनाज की सुविधा प्राप्त होती रहेगी। सरकार को इस वक्त चिंता सिर्फ़ दो ही बातों की सबसे ज़्यादा है ! पहली ग़रीबों की और दूसरी हिंदुत्व की। चिंता को यूँ भी समझा जा सकता है कि हिंदुत्व की रक्षा के लिए ग़रीबों को बचाए रखना ज़रूरी है !
