महाराष्ट्र के अमरावती से बीजेपी की सांसद नवनीत राणा के द्वारा मुंबई पुलिस पर अमानवीय व्यवहार करने के आरोपों पर सवाल उठने लगे हैं। बांद्रा के मजिस्ट्रेट के आदेश की कॉपी में कहा गया है कि नवनीत राणा व उनके पति जब अदालत के सामने आए तो उन्होंने पुलिस के खिलाफ किसी तरह की शिकायत नहीं की।
जबकि मजिस्ट्रेट के द्वारा रिमांड दिए जाने के दौरान किसी भी अभियुक्त से पहला सवाल यही पूछा जाता है कि क्या उन्हें पुलिस से कोई शिकायत है।
बता दें कि नवनीत राणा ने लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखकर मुंबई पुलिस पर बेहद गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि उन्हें वॉशरूम नहीं जाने दिया गया और पानी पीने की इजाजत भी नहीं दी गई और यह इसलिए किया गया क्योंकि वह दलित समुदाय से आती हैं।
सवाल यह है कि अगर नवनीत राणा के साथ किसी तरह का गलत व्यवहार हुआ था तो उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने इसकी शिकायत करनी चाहिए थी। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। ऐसे में यह सवाल जरूर उठता है कि क्या नवनीत राणा ने गलत बयानी की थी।
अब बदला बयान
अब नवनीत राणा की सफाई आई है कि उनके साथ सांताक्रूज पुलिस स्टेशन के लॉकअप में गलत व्यवहार किया गया ना कि खार पुलिस थाने में। उनके वकील ने भी यही बात कही है।
मुंबई पुलिस इस मामले में सांताक्रूज पुलिस स्टेशन की सीसीटीवी फुटेज भी जारी कर सकती है।
ऐसे में गलत व्यवहार वाले आरोपों को लेकर नवनीत राणा खुद ही सवालों के कटघरे में खड़ी दिख रही हैं। मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने को लेकर शुरू हुआ विवाद अब दूसरी जगह मोड़ लेता दिखाई दे रहा है। लेकिन मुंबई पुलिस की ओर से ठोस साक्ष्य रखने के बाद नवनीत राणा व उनके पति की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
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