इस वित्तीय साल के अंत तक वायु सेना को हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 20 हज़ार करोड़ देने होंगे, जिसमें सात हज़ार करोड़ पिछले साल का है। यह कहना है एचएएल के चेयरमैन आर. माधवन का।
विदेशी कंपनियों से प्यार, देशी को दुत्कार
- अर्थतंत्र
- |
- |
- 7 Jan, 2019
इस वित्तीय साल के अंत तक वायु सेना को हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 20 हज़ार करोड़ देने होंगे, जिसमें सात हज़ार करोड़ पिछले साल का है। यानी एचएएल में आर्थिक तंगी है।

जहाँ वायु सेना ने एचएएल की देनदारी रोक रखी है वहीं इसने विदेशी कंपनियों को समय पर पैसे चुका दिए हैं। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक़, दसॉ एअरोस्पेस कंपनी को 36 रफ़ाल विमानों की एवज में 20 हज़ार करोड़ दिए जा चुके हैं। रफ़ाल का सौदा सितंबर 2016 में हुआ था। इसी तरह एपाचे और चिनुक हेलिकॉप्टर के लिए 2015 में बोइंग के साथ किए गए करार की एवज में दो हज़ार करोड़ रुपये प्रति वर्ष का भी भुगतान किया जा चुका है।
दसॉ रफ़ाल की पहली खेप इस साल भेजेगा। बोइंग भी इसी साल हेलिकॉप्टर लेना शुरू करेगा। दूसरी तरफ़ माधवन का कहना है कि एचएएल हवाई जहाज, हेलिकॉप्टर और दूसरी सेवाएँ पहले ही एयरफ़ोर्स को दे चुका है। इसकी कुल देनदारी 15 हज़ार सात सौ करोड़ रुपये है, जिसकी देनदारी बढ़कर 20 हज़ार करोड़ रुपये हो जाएगी।