क्या भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है? क्या मांग-खपत निकलने लगी हैं और लोग पहले की तरह न सही, पर थोड़ी-बहुत ख़रीद-फ़रोख़्त करने लगे हैं? ऐसा लगता है कि अर्थव्यवस्था पटरी पर तो नहीं लौटी है, पर इसमें धीरे-धीरे सुधार होने लगा है। यह अक्टूबर महीने के जीएसटी राजस्व उगाही से साफ होता है।
फरवरी के बाद पहली बार जीएसटी राजस्व उगाही एक लाख करोड़ रुपए की सीमा को पार कर गई है, इस महीने में 1.05 लाख करोड़ की उगाही दिखाती है कि खरीद-बिक्री शुरू हो चुकी है। जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स वह कर है जो आप सामान खरीदने या किसी तरह की सेवा लेने पर चुकाते हैं।
माँग-खपत
इस जीएसटी में केंद्रीय जीएसटी 19,193 करोड़ रुपए, राज्य जीएसटी 25,411 करोड़ रुपए और इंटीग्रेटे़ड जीएसटी 52,540 करोड़ रुपए मिले हैं। इसके पहले सितंबर महीने में 95,480 करोड़ रुपए की जीएसटी वसूली हुई थी।
यह महत्वपूर्ण है कि इस साल अक्टूबर में जीएसटी वसूली पिछले साल अक्टूबर के राजस्व से 10 प्रतिशत ज़्यादा है। इसके साथ ही अक्टूबर में आयात में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
लॉकडाउन से पहले की स्थिति पर
जीएसटी राजस्व एक लाख करोड़ रुपए के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही हो गया था। यह मई-जून में न्यूनतम स्तर पर था, उसके बाद बहुत ही मामूली सुधार और गिरावट होती रही। लेकिन पहली बार यह पिछले साल की तुलना में अधिक हुआ और पहली बार यह लाख करोड़ रुपए के स्तर को पार कर पाया।बता दे कि जीएसटी राजस्व को लेकर केंद्र और राज्य में जोरदार लड़ाई चल रही थी। केंद्र राज्यों को उनके हिस्से का जीएसटी बकाया नहीं दे रहा था, उसका कहना था कि उसके पास पैसे नहीं हैं, लिहाज़ा राज्य क़र्ज़ लेकर काम चलाएं। राज्यों का कहना था कि क़र्ज़ लेना ही है तो केंद्र सरकार ले, राज्य इस पचड़े में क्यों पड़े।
लंबी लड़ाई के बाद यह सहमति बनी है कि केंद्र क़र्ज़ लेकर राज्यों को देगा। लेकिन इसमें भी पेच यह है कि केंद्र सिर्फ गारंटर की भूमिका में ही होगा, यानी कर्ज लेगा, राज्यों को देगा और राज्य वह पैसा चुकाएंगे।
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