loader
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण। फ़ोटो साभार - फ़ेसबुक पेज निर्मला सीतारमण।

सरकार को एक और झटका, 19 महीने के निचले स्तर पर पहुंचा जीसएटी संग्रह

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर लगातार झटके खा रही मोदी सरकार को एक और झटका लगा है। सितंबर के जीएसटी संग्रह के आंकड़ों में गिरावट देखने को मिली है। आंकड़ों के मुताबिक़, यह 19 महीने में सबसे बड़ी गिरावट है। सितंबर में जीएसटी संग्रह घटकर 91,916 करोड़ रुपये रहा है। जबकि अगस्त के महीने में यह 98,202 करोड़ रुपये था। पिछले साल सितंबर में जीएसटी संग्रह 94,442 करोड़ रुपये था। 

दो दिन पहले ही ख़बर आई थी कि अगस्त महीने में 8 कोर सेक्‍टर की विकास दर में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि 5 कोर सेक्टर में निगेटिव ग्रोथ हुई है। ये क्षेत्र हैं - बिजली, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, कोयला और सीमेंट। इससे यह साफ़ है कि अर्थव्यवस्था अब मंदी की ओर बढ़ रही है। 

ताज़ा ख़बरें

जीएसटी संग्रह के आंकड़ों में गिरावट की ख़बर ऐसे समय में सामने आई है, जब ऑटो सेक्टर में ज़बरदस्त मंदी की स्थिति है। वाहनों की बिक्री में गिरावट है, कई प्लांटों में काम बंद होने और लोगों को नौकरी से निकाले जाने की ख़बरें लगातार आ रही हैं। बाक़ी के दूसरे सेक्टर में भी स्थिति काफ़ी ख़राब है। सरकार आर्थिक हालात सुधारने की कोशिश कर रही है लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिल रही है। हाल के दिनों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए कई विशेष पैकेजों की घोषणा की है। इसमें ऑटो सेक्टर के लिए रियायतों की घोषणा भी शामिल है। 

अर्थतंत्र से और ख़बरें
सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में प्रत्यक्ष कर उगाही राजस्व में 17.30 प्रतिशत की बढ़ोतरी और कुल 13.35 लाख करोड़ रुपये की उगाही का लक्ष्य रखा था लेकिन अप्रैल से 15 सितंबर तक सिर्फ़ 4.40 लाख करोड़ रुपये की कर उगाही हो सकी। 
अर्थव्यवस्था की ख़राब हालत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार ने रिज़र्व बैंक से अंतरिम लाभांश के रूप में 30 हज़ार करोड़ रुपये माँगे हैं। अभी कुछ ही दिन पहले रिज़र्व बैंक ने सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपये दिए थे।  इसके अलावा रिज़र्व बैंक ने मार्च 2019 में भी 28 हज़ार करोड़ रुपये का लाभांश दिया था।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

अर्थतंत्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें